राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। ट्रेनों में अपराध नियंत्रित करने के लिए दो बड़े उपाय किए जाने की योजना है। पहला तो यह कि मध्य प्रदेश और पड़ोसी राज्य एक-दूसरे से ट्रेनों में घटित अपराध के संबंध में दर्ज एफआईआर ई-मेल पर एक दूसरे से साझा करेंगे, जिससे अपराधी और अपराध की प्रकृति के संबंध में जानकारी मिल सके। एक माह पहले कुछ जिलों ने इसकी शुरुआत भी कर दी है।
लगेंगे सीसीटीवी कैमरें
दूसरा यह कि रेलवे स्टेशनों के आसपास के यात्रियों की आवाजाही के क्षेत्र (सर्कुलेटिंग एरिया) में रेल पुलिस सीसीटीवी कैमरे लगाएगी। छोटे-बड़े सभी स्टेशनों में यह व्यवस्था होगी। अभी सिर्फ स्टेशन के भीतर रेलवे के तरफ से ही सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ऐसे में सर्कुलेटिंग एरिया में आने जाने वाले लोगों और गतिविधियों के संबंध में निगरानी नहीं हो पाती। आवश्यकता पड़ने पर सीसीटीवी फुटेज भी नहीं मिलते।
इन राज्यों के बीच सहमति
मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात के बीच लगभग एक वर्ष पहले इस पर सहमति बनी थी। अब इस पर अमल प्रारंभ हो गया है। जिस जिले में अपराध पंजीबद्ध होगा वहां से एफआइआर की कापी भेजी जाएगी। इसी तरह से मध्य प्रदेश में दर्ज होने वाली एफआइआर की जानकारी दूसरे राज्यों को भेजी जाएगी।
दरअसल, ट्रेन में चोरी या लूट की वारदात करने वाले अपराधियों के गिरोह का नेटवर्क अगल-बगल के राज्यों में भी रहता है। कई बार अपराधी ट्रेन में किसी एक राज्य से सवार होता है और वह जब घटना का अंजाम देता है तो ट्रेन दूसरे राज्य में पहुंच चुकी होती है। वे वारदात के नए-नए तरीके अपनाते हैं। इस कारण पुलिस के लिए ऐसे अपराधियों पर नजर रख पाना कठिन हो जाता है।
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