नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। प्रदेश के 45 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। रविवार से राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत करते हुए सभी 55 जिलों में कलेक्टर, सांसद और विधायकों को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। यह अभियान धनतेरस से दीपावली तक प्रस्तावित कामबंद हड़ताल की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
परीक्षा के जरिए भरा जाए पद
आंदोलन का नेतृत्व बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव, महामंत्री दिनेश सिसोदिया और जनता यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र भदौरिया कर रहे हैं। ज्ञापन में मांग की गई है कि मप्र की छह बिजली कंपनियों में 50 हजार रिक्त पदों को मौजूदा और अनुभवी आउटसोर्स कर्मियों से विभागीय परीक्षा के जरिए भरा जाए।
आउटसोर्स के लिए रिजर्वेशन
संगठन ने भविष्य की सीधी भर्ती में 50 प्रतिशत पद आउटसोर्स कर्मियों के लिए आरक्षित करने, तमिलनाडु की तर्ज पर नियमित भर्ती कराने और ठेका प्रथा समाप्त करने की मांग की है। इसके साथ ही बोनस 8.33 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने, न्यूनतम वेतन केंद्र सरकार के बराबर करने, बिजली दुर्घटनाओं में मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और अनुकंपा नियुक्ति देने, जोखिम भत्ता लागू करने तथा सेवा पुस्तिका तैयार करने की मांग भी उठाई गई है।
कर्मचारियों ने ठेकेदारों पर सख्ती बरतने और मनमाने ट्रांसफर को निरस्त करने की भी मांग की है। संगठन ने साफ कहा है कि यदि सरकार ने इन मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो धनतेरस से दीपावली तक सभी बिजली आउटसोर्स कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। इससे प्रदेश की बिजली व्यवस्था प्रभावित होना तय माना जा रहा है।