
विकास वर्मा, नईदुनिया, भोपाल। नर्मदा की परिक्रमा करने वालों को अब ठहरने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। मध्य प्रदेश सरकार नर्मदा परिक्रमा पथ पर आश्रय गृह बिछाने जा रही है। शुरुआत 10 आश्रयगृहों से हो रही है, जिसे चार करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। बाद में इसकी संख्या हर साल बढ़ाई जाएगी। इन आश्रय गृहों में परिक्रमा करने वालों को ठहरने के साथ ही भोजन की भी व्यवस्था रहेगी। नर्मदा एकमात्र ऐसी नदी है, जिसके उपासक उसकी परिक्रमा करते हैं।
करीब 3500 किलोमीटर लंबी यह परिक्रमा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के दुर्गम क्षेत्रों से होकर गुजरती है। अभी तक इस पथ पर यात्री मंदिरों, मठों, आश्रमों और गृहस्थों के घर पर ही ठहरते और भोजन-प्रसादी पाते हैं। इस साल मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यहां सरकारी आश्रयगृह बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए बजट मंजूर हुआ। इसके निर्माण का काम संस्कृति विभाग के तहत जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी को दिया गया है।
अकादमी ने ग्रामीण संस्कृति पर आधारित आश्रय गृह की डिजाइन बनाई है, जिसे संस्कृति विभाग ने मंजूरी दे दी है। ये आश्रयगृह अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, सीहोर, खरगोन, धार, बड़वानी जिलों में बनाए जाने हैं। जिला प्रशासन की मदद से इसके लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो गया है।
बिजली पहुंचा दी गई है। अब जल्दी ही निर्माण शुरू होगा। प्रत्येक आश्रयगृह के निर्माण पर 40 लाख रुपये की लागत आ रही है। इसका निर्माण कार्य एक वर्ष में पूरा होगा। इस व्यवस्था से यात्रियों को किफायती और सुरक्षित आवासीय सुविधा मिलेगी। यात्रियों को रास्ते में आराम करने और भोजन करने का मौका मिलेगा, इससे वे आगे की यात्रा आसानी से कर पाएंगे।

परियोजना के शुरुआती चरण में नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर लगभग 500 यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक आश्रय गृह में अलग कमरे, डोरमेट्री, किचन, डाइनिंग हाल, टायलेट, स्नानघर आदि बनाए जाएंगे। हर डोरमेट्री में 20-30 लोगों के रुकने की सुविधा होगी, जिससे सोलो यात्रा करने वाले या छोटे समूह आसानी से रह सकेंगे। वहां चार से पांच कमरे भी तैयार किए जाएंगे, जिनकी कुल क्षमता 15 से 20 यात्रियों की होगी।

इन आश्रय गृहों के संचालन की व्यवस्था अलग होगी। संस्कृति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उसके निर्माण की जिम्मेदारी उन्हें मिली है। संचालन की व्यवस्था किसके पास होगी, उसे बाद में तय किया जाएगा। आश्रय गृहों में प्रबंधक, रसोइया और सहायक आदि की नियुक्ति होगी। यहां ठहरना निश्शुल्क होगा, लेकिन भोजन के लिए एक न्यूनतम शुल्क तय किया जाएगा।

एक साल में 10 आश्रय गृह बनाकर नर्मदा परिक्रमा को सुरक्षित और आरामदायक बनाएंगे। 10 जगह के कलेक्टरों से अनुमति मिल चुकी है। लाइट और बिजली की व्यवस्था की जा रही है। इन स्थानों पर यात्रियों को आवास, भोजन की सुविधाएं मिलेंगी। यह परियोजना परिक्रमावासियों के अनुभव को बेहतर बनाएगी और स्थानीय विकास को प्रोत्साहित करेगी।
एनपी नामदेव, संचालक, मप्र संस्कृति विभाग