नवदुनिया प्रतिनिधि,भोपाल: अक्सर लोग स्वास्थ्य बीमा इसलिए कराते हैं, ताकि जब कभी भी बीमारी उन्हें घेरे तो इलाज के लिए उन्हें आर्थिक तौर पर परेशान ना होना पड़े। बीमा इलाज बड़ा मददगार साबित होता है, लेकिन कई बार बीमा कंपनी अलग-अलग बहाना बनाकर बीमा राशि देने से इनकार कर देती है। ऐसे ही मामले में जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-1 ने निर्णय सुनाया है।
दरअसल कोलार रोड स्थित सागर प्रीमियम टावर्स निवासी पद्मकांता जैन ने युनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ 2023 में याचिका लगाई थी। इसमें शिकायत की थी कि जैन अंतरराष्ट्रीय संस्था के द्वारा सभी जैन परिवार के सदस्यों के लिए युनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी से ग्रुप स्वास्थ बीमा पालिसी प्राप्त की थी। उपभोक्ता ने 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा 2020 में लिया था। इसके लिए करीब 33 हजार 800 रुपये प्रीमियम देना था। जब उपभोक्ता की पत्नी का तबियत खराब हुई तो उन्हें 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इलाज में करीब साढ़े 5.56 लाख रुपये खर्च हुए थे।
उपभोक्ता ने क्लेम के लिए कोरियर के माध्यम से बीमा कंपनी को दस्तावेज भेजा था, लेकिन रविवार को अवकाश होने के कारण उन्हें प्राप्त नहीं हो सका। इस कारण बीमा कंपनी ने समय पर दस्तावेज प्राप्त नहीं होने के तकनीकी आधार पर क्लेम निरस्त कर दिया। आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल व सदस्य डा. प्रतिभा पांडेय की बेंच ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी तकनीकी बहाना बनाकर क्लेम देने से इनकार नहीं कर सकती है। बीमा कंपनी को इलाज में खर्च करीब साढ़े 5.56 लाख रुपये के साथ आठ हजार रुपये क्षतिपूर्ति राशि देने के आदेश दिए।
आयोग में बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता द्वारा इलाज में खर्च राशि के लिए क्लेम के दस्तावेज 30 दिन के अंदर सूचना देनी थी,लेकिन समय से दस्तावेज ही प्राप्त नहीं हुए। वहीं उपभोक्ता के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि समयावधि में ही दसतावेज कोरियर से भेजे गए थे, लेकिन रविवार होने के कारण समय से प्राप्त नहीं हुए। आयोग ने कहा कि तकनीकी कारणों से क्लेम अनुचित आधार पर निरस्त कर सेवा में कमी की गई है।
बीमा कंपनी कोई भी बहाना बनाकर बीमा राशि देने से इनकार नहीं कर सकती है। इलाज में खर्च करीब साढ़े 5.56 लाख रुपये सहित हर्जाना भी देना होगा।
मोना पालीवाल, उपभोक्ता मामले की अधिवक्ता