नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को जनसंख्या के अनुपात में शासकीय सेवाओं में प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने याचिका दायर की है। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ एवं जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(2) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। उक्त धारा को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 से असंगत बताया गया है याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि आरक्षण अधिनियम की धारा 4(2) एससी को 16 प्रतिशत, एसटी को 20 प्रतिशत तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान करती है।
2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में एससी वर्ग की आबादी 15.6 प्रतिशत, एसटी वर्ग की आबादी 21.01 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी 50.01 प्रतिशत है। तर्क दिया कि एससी-एसटी वर्ग को आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जा रहा है। जबकि अन्य पिछड़े वर्ग को मात्र 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
इसलिए उक्त धारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,15 एवं 16 से असंगत है। उक्त धारा 4 की उप धारा 2 ओबीसी वर्ग के साथ भेदभाव उत्पन्न कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन को नोटिस जारी किए। तीन सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया गया है।