
भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। भोपाल रेल मंडल में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स आरपीएफ के दो जवानों पर रिश्वत लेने के एक जैसे गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन अधिकारियों द्वारा इन पर कार्रवाई का स्तर अलग-अलग है। एक जवान को तो निलंबित कर दिया था, हाल ही में उसे आरोप पत्र दिया है। वहीं दूसरे जवान को सिर्फ मुख्यालय में अटैच कर मामला रफा-दफा कर दिया गया। आरपीएफ की इस कार्रवाई पर शुरू से सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अधिकारी अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं। दोनों घटना एक से डेढ़ माह के भीतर की हैं।
ये थे मामले
01— रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर प्रधान आरक्षक गजेंद्र सिंह तैनात थे। उन पर एक 500 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। उन्हें अधिकारियों ने बिना देरी किए निलंबित कर दिया था। हालांकि जवान ने आरोपों को गलत बताया और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने अपना पक्ष भी रखा, तब भी उस पर की गई कार्रवाई वापस नहीं ली जा रही। अधिकारी भी अपने जगह सही है, रिश्वत लेने जैसे आरोपों के बाद इस तरह की कार्रवाई बनती है।
02— शिवपुरी स्टेशन पर आरपीएफ की चौकी है। इसकी जिम्मेदारी जय भारत नामक उप निरीक्षक को दी गई थी। उन पर कार्रवाई के नाम पर रुपये लेने के गंभीर आरोप लगे थे। इन आरोपों के बाद अधिकारियों ने उन्हें अटैच कर दिया है। मामला गंभीर था तब भी केवल अटैचमेंट की कार्रवाई की गई है। हालांकि उप निरीक्षक भी खुद को बेदाग बता रहे हैं। पूर्व में भी वह इस तरह के आरोपों का सामना कर चुके है और पहले भी अधिकारियों ने उन्हें अटैच करके रखा था, लेकिन कार्रवाई इससे आगे नहीं की थी।
इसलिए उठ रहे सवाल
भोपाल रेल मंडल में एक ही तरह के दो गंभीर आरोपों पर अलग—अलग कार्रवाई करना चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पर आरपीएफ में ही अंदरखाने खलबली मची हुई है। लगभग सभी थाने व पोस्ट में इस कार्रवाई की चर्चा है।