MP Weather News: मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सोंं से विदा हुआ मानसून, अब और सताएगी उमस
मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिन में प्रदेश के शेष हिस्सों से भी विदा हो सकता है मानसून।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sat, 09 Oct 2021 12:41:09 PM (IST)
Updated Date: Sat, 09 Oct 2021 02:14:02 PM (IST)

MP Weather News: भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। दक्षिण-पश्चिम मानसून ग्वालियर, चंबल संभाग के बाद प्रदेश के अधिकांश हिस्सों से विदा हो गया है। मौसम विभाग ने इसकी घोषणा कर दी है। शनिवार दोपहर को मौसम विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून ग्वालियर, चंबल, सागर, रीवा, शहडोल, भोपाल, उज्जैन संभागों के साथ-साथ इंदौर, होशंगाबाद एवं जबलपुर संभागों के कुछ हिस्सों से जा चुका है। अगले 2-3 दिनों में प्रदेश के शेष इलाकों से भी मानसून की विदाई की संभावना है। मानसून की रवानगी के साथ फिलहाल दिन और रात के तापमान इसी तरह बने रहने की संभावना है। उधर, वातावरण में नमी बरकरार है। इस वजह से लोगों को उमस और भी ज्यादा बेहाल करेगी। हालांकि मौसम विज्ञानियों के मुताबिक रविवार को बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। इसके प्रभाव से 15 अक्टूबर से प्रदेश में भी बादल छाने के साथ कहीं-कहीं बौछारें भी पड़ने की संभावना है।
मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक छिंदवाड़ा में 3.8, धार में 1.2, पचमढ़ी में 0.5 मिलीमीटर बारिश हुई। साहा ने बताया कि पिछले दो दिन में मध्यप्रदेश में बारिश की गतिविधियों में कमी आई है। हवाओं का रुख भी बार-बार बदलने लगा है।
बंगाल की खाड़ी के सिस्टम से बदलेगा मौसम का मिजाज
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में रविवार को एक कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। यह सिस्टम समुद्र में और शक्तिशाली होने के बाद 15 अक्टूबर से आगे बढ़ेगा। इस सिस्टम के दक्षिण भारत के बाद महाराष्ट्र, गुजरात से होकर अरब सागर में जाने की संभावना है। इसके प्रभाव से 15 अक्टूबर से मप्र में भी नमी आने की संभावना है। जिसके चलते बादल छाएंगे। साथ ही महाराष्ट्र और गुजरात से लगे मप्र के जिलों में कहीं-कहीं बौछारें भी पड़ सकती हैं। हालांकि यह बारिश उन किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी, जो खरीफ की फसल काट चुके हैं और गेहूं, चने की बोवनी के लिए खेत तैयार करने में लगे हैं।