
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में फर्जी दस्तावेजों के जरिए छात्रों को प्रवेश दिलवाने के दौरान पकड़ा गया नीट फर्जीवाड़े का गिरोह उत्तरप्रदेश के 100 करोड़ी शिक्षा माफिया अभिनव शर्मा की तर्ज पर ही काम कर रहा था। जिस प्रकार अभिनव और उसकी गैंग देशभर के विभिन्न राज्यों में अभ्यर्थियों से एक मेडिकल सीट के नाम पर 30 लाख रुपये तक वसूलकर उनके फर्जी प्रमाणपत्र समेत तमाम दस्तावेज तैयार करवाकर प्रवेश दिलवाते थे, उसी तरह भोपाल पुलिस द्वारा पकड़े गए गिरोह के सदस्य भी प्रदेश की आरक्षण प्रक्रिया में सेंध लगाकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते और छात्रों को प्रवेश दिलवाते थे।
भोपाल, दतिया, शिवपुरी और रीवा में तो वे प्रवेश दिलवा ही चुके थे। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य राज्यों में भी इसी तरह से प्रवेश दिलवाने के प्रयास किए हैं। कोहेफिजा पुलिस गिरोह में शामिल अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन इनके मुख्य सरगना रीतेश यादव, संदीप कुमार, सुमित कुमार और आदित्य अब तक पकड़ में नहीं आए हैं। दोनों गिरोह के बिहार के रहने वाले, अभिनव का राइट हैंड भोपाल में रहा। दोनों गिरोहों के आरोपितों का बिहार से संबंध मिलने के बाद उनके सक्रिय नेटवर्क की तलाशी जरूरी है। लखनऊ में गिरफ्तार किए गए 100 करोड़ी शिक्षा माफिया अभिनव शर्मा का राइट हैंड संतोष साहू बिहार का रहने वाला है। वह लंबे समय तक भोपाल में रह चुका है।
उसके भोपाल में मौजूद रहने और स्थानीय व्यक्तियों से संपर्क बनाने के संकेत दोनों मामलों को करीब लाते हैं। इसके अलावा भोपाल में पकड़ा गए गिरोह के 12 में से आठ आरोपित बिहार के ही रहने वाले हैं। संतोष के किराए के मकानों, उसके रिश्तों और उसके आर्थिक लेनदेन को खंगालकर पुलिस इस कड़ी को जोड़ सकती है। फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने जिलों में तैनात कर रखे थे एजेंट जांच में खुलासा हुआ है कि नीट फर्जीवाड़े में शामिल गिरोहों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने के लिए विभिन्न जिलों में अपने एजेंट तैनात कर रखे थे। ये एजेंट मूल निवासी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांग और अन्य आरक्षण श्रेणियों के प्रमाणपत्र बनवाने के लिए स्थानीय अधिकारियों व नेटवर्क से संपर्क साधते थे।
एक सप्ताह पहले लखनऊ क्राइम ब्रांच ने मूलत: मथुरा, उप्र के रहने वाले अभिनव शर्मा और उसके साथियों को गिरफ्तार किया था। वह वर्ष 2011 से लगातार धांधली कर लोगों को सरकारी कालेजों में प्रवेश दिलवाता था। उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए खुद के भी पांच-पांच आधार कार्ड बनवा रखे थे। इससे पहले वह गुजरात और दिल्ली में भी गिरफ्तार हो चुका था।
लखनऊ क्राइम ब्रांच के डीसीपी का कहना है कि उसका साथी संतोष बिहार का रहने वाला है, जो कि लंबे समय तक प्रेमिका के साथ भोपाल में रहा। हालांकि भोपाल में पकड़े गए नीट फर्जीवाड़े को लेकर उससे पूछताछ नहीं हुई है। उधर भोपाल में जोन-3 डीसीपी अभिनव चौकसे का कहना है कि पुलिस मामले में फरार आरोपितों की तलाश कर रही है। लखनऊ की गैंग से अब तक कनेक्शन नहीं जुड़ पाया है।