
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्यप्रदेश में नीट-पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) की काउंसलिंग फिलहाल अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई है, जिसके कारण हजारों डॉक्टर अपनी आगे की पढ़ाई शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थगन का सीधा कारण जबलपुर हाईकोर्ट का वह आदेश है, जिसमें निजी मेडिकल कॉलेजों में कुल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक न रखने को कहा गया है।
नए सीट चार्ट का इंतजार, सॉफ्टवेयर अपडेट में देरी
हाईकोर्ट के फैसले के बाद संचालक चिकित्सा शिक्षा (DME) को निजी कॉलेजों के लिए आरक्षण रोस्टर और सीट चार्ट बदलना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार DME अधिकारी इस बदलाव पर तेजी से काम कर रहे हैं। नया सीट चार्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे अंतिम अनुमोदन के लिए उपमुख्यमंत्री के पास भेजा गया है। आरक्षण अनुपात में बड़े बदलाव के कारण काउंसलिंग प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला सॉफ्टवेयर भी अपडेट किया जा रहा है। सॉफ्टवेयर अपडेट होने में समय लग रहा है, जिससे प्रक्रिया शुरू होने में देरी हो रही है। DME की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी न मिलने के कारण उम्मीदवार परेशान हैं।
50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर कोर्ट की रोक
यह विवाद निजी कॉलेजों के संस्थागत वरीयता कोटा से जुड़ा है। काउंसलिंग के पहले चरण में यह नियम जोड़ा गया था कि NRI और इन-सर्विस कोटा को छोड़कर लगभग सभी सीटें उन उम्मीदवारों को मिलेंगी, जिन्होंने मध्यप्रदेश, विशेषकर उसी निजी कॉलेज से MBBS किया है। बाहरी राज्यों के छात्रों ने इसे 100 प्रतिशत आरक्षण बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि किसी भी सूरत में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। कोर्ट के आदेश के बाद DME को पूरी प्रक्रिया नए सिरे से शुरू करनी पड़ रही है।
प्रक्रिया कब शुरू होगी, इस पर अधिकारियों की चुप्पी ने छात्रों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अब सभी की निगाहें उपमुख्यमंत्री के अनुमोदन और DME द्वारा जारी होने वाले नए शेड्यूल पर टिकी हैं।
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