
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में साइबर अपराधों में ठगी गई राशि को तत्काल होल्ड (रुकवाने) कराने के लिए राज्य साइबर मुख्यालय में एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इस प्रकोष्ठ में एक उपनिरीक्षक सहित चार पुलिसकर्मी हैं। इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ-4 सी), साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 और अन्य माध्यमों से ठगी की जानकारी मिलने पर यह सेल तत्काल खाते की पहचान कर संबंधित बैंक से समन्वय करेगी, जिससे राशि को रोका जा सके।
ठग राशि को तीन से चार खातों में जल्दी-जल्दी ट्रांसफर करते हैं। कई बार दूसरे व्यक्ति से ठगी की राशि भी इन खातों में आती है। ऐसे में एक से दो घंटे में बैंकों से बात करने पर राशि मिलने की संभावना रहती है।
साइबर मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने मिटिगेशन सेंटर के नाम से इसी तरह की सेल बनाई है। यह सेल सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के बैंकों के साइबर ठगी के संबंध में बने नोडल अधिकारियों के संपर्क में रहती है। ठगी की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई की जाती है। बैंकों को खाता नंबर और खाता धारक का नाम व राशि का विवरण दिया जाता है, जिसके आधार पर राशि को उसकी खाते में होल्ड कर दिया जाता है। इसके बाद पीड़ित से संपर्क कर राशि वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू होती है।
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यह सेंटर अभी पांच लाख रुपये से अधिक की ठगी के मामलों के लिए काम करेगा। स्टाफ बढ़ने के बाद इससे कम की ठगी के लिए काम किया जाएगा। बता दें, प्रदेश में वर्ष 2021 से अब तक लगभग 1100 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है, जिसमें 12 प्रतिशत राशि ही होल्ड कराई जा सकी है। हालांकि, इसमें पीड़ितों को अभी तक दो करोड़ रुपये ही वापस मिल पाए हैं। कोर्ट के निर्देश पर बाकी राशि वापस दिलाई जाएगी।