नईदुनिया, भोपाल। राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक मानिटरिंग का जिम्मा जिन सीसीटीवी कैमरों पर था, वही अब भारी लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं। शहरभर में पुलिस द्वारा लगाए गए 780 कैमरों में से 300 से अधिक कैमरे महीनों से बंद पड़े हैं। यानी पुलिस की “तीसरी आंख” धुंधली हो गई है और निगरानी व्यवस्था कमजोर हो गई है।
सीसीटीवी कैमरों की खराब स्थिति का कारण उनका समय पर मेंटनेंस न होना है। आठ साल पहले पुलिस ने जिस निजी कंपनी के हवाले मेंटनेंस का करार किया था, उन्होंने लगातार लापरवाही बरती। कैमरे खराब होते गए, शिकायतें बढ़ती गईं लेकिन सुधार का काम ठप रहा। वरिष्ठ अधिकारियों ने नाराज होकर कंपनी का करार रद्द कर दिया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर चिंता
सीसीटीवी कैमरों की ठप व्यवस्था से सबसे बड़ी चिंता ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर है। एमपी नगर, न्यू मार्केट से लेकर कोलार और पुराने शहर के व्यस्त इलाकों में दर्जनों कैमरे बंद हैं। नतीजा यह है कि ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई कमजोर हो गई है और हादसों की निगरानी भी संभव नहीं हो पा रही। वहीं चोरी, लूट और झपटमारी जैसे अपराधों में भी फुटेज की कमी जांच को अधूरा बना रही है।
पुलिस का क्या कहना
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही किसी अन्य कंपनी को मेंटनेंस का काम सौंपा जाएगा। ठप व्यवस्था के लिए मेट्रो निर्माण भी कारण है। पुलिस के एसीपी राजेंद्र वर्मा ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों का मेंटनेंस लगातार चल रहा है। प्राइवेट एजेंसियों से फिलहाल रिपेयर का काम करवाया जा रहा है। हालांकि कई जगह मेट्रो निर्माण के कारण कैमरे बंद हैं, लेकिन अब तेजी से मेंटनेंस का काम शुरू हुआ है।