अंजली राय, नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्य प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग अब ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और कर्मकांड की पढ़ाई कराएगा। इसके लिए महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने एक वर्षीय डिप्लोमा सिलेबस तय किया है, जिसकी शुरुआत नवंबर महीने से ही हो जाएगी। यह ऑनलाइन पाठ्यक्रम होगा, जिसकी परीक्षा जिलों में बनाए गए केंद्रों पर ऑनलाइन ली जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि ज्योतिर्विज्ञान (ज्योतिष) के पाठ्यक्रम में ग्रह, नक्षत्र की गणना, कुंडली परीक्षण और हस्तरेखाएं देखकर फलादेश बताने की तकनीक सिखाई जाएगी। वहीं, वास्तुशास्त्र में घर व कार्यालय में वास्तु के हिसाब से निर्माण कार्य के बारे में जानकारी दी जाएगी।
ज्योतिष व वास्तुशास्त्र में करियर की संभावनाओं को देखते हुए ज्योतिर्विज्ञान, वास्तुशास्त्र व कर्मकांड की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके तहत एक वर्षीय ज्योतिर्विज्ञान(ज्योतिष) और वास्तु शास्त्र डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता माध्यमिक शिक्षा मंडल या मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बनाया गया है।
ज्योतिर्विज्ञान और वास्तुशास्त्र में डिप्लोमा के लिए एमपी ऑनलाइन के माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आवेदन 30 अक्टूबर तक किए जा सकेंगे। कर्मकांड में डिप्लोमा का पाठ्यक्रम दो तीन महीने बाद शुरू होगा।
दोनों पाठ्यक्रमों की कक्षाएं एक नवंबर से आनलाइन शुरू होंगी। सप्ताह में तीन-तीन दिन दो-दो घंटे की कक्षा होगी। ज्योतिर्विज्ञान की कक्षाएं सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को चलेंगी। वहीं वास्तु शास्त्र की कक्षाएं मंगलवार, गुरुवार, शनिवार को लगेंगी। इनका संचालन संस्कृत भवन से होगा।
यह पाठ्यक्रम 10 माह का होगा। अगले साल अक्टूबर में संस्कृत संस्थान इन पाठ्यक्रमों की आफलाइन परीक्षा लेगा। नवंबर में इसका रिजल्ट जारी होगा। सभी जिले में इसके लिए केंद्र बनाए जाएंगे, ताकि विद्यार्थी किसी भी जिले से परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
शिक्षकों को महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान प्रशिक्षण दे रहा है। इसमें मदद के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष व वास्तुशास्त्र के प्रोफेसरों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
ज्योतिष व वास्तु शास्त्र रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम है। पांच हजार रुपये में एक पाठ्यक्रम कर सकते हैं। ज्योतिष व कर्मकांड में रूचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। - आरके सिंह (अपर संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय)