विकास वर्मा, नईदुनिया, भोपाल। रेलवे मालगाड़ियों की लोडिंग और अनलोडिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षित रखने और काम की दक्षता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है। ड्रोन एस ए सर्विस पायलट परियोजना के तहत अब ड्रोन की मदद से रेलवे माल वैगनों की निगरानी की जाएगी, जिससे लोडिंग में होने वाली गड़बड़ियों का तुरंत पता चल सकेगा और उन्हें रोका जा सकेगा।
रेल मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, दक्षिण पूर्व रेलवे (एसइआर), दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसइसीआर) और दक्षिण पश्चिम रेलवे (एसडब्ल्यूआर) में ड्रोन तकनीक से निगरानी की स्वीकृति दे दी गई है। इन क्षेत्रों में ड्रोन की मदद से मालगाड़ी वैगनों की लोडिंग और अनलोडिंग की निगरानी की जाएगी।
यह पायलट परियोजना तीन महीने तक चलेगा। इस अवधि में प्रत्येक जोन को एक से दो ऐसे टर्मिनलों का चयन करना होगा जहां ट्रैफिक अधिक हो और लोडिंग में अनियमितता की शिकायतें अक्सर मिलती हों। परियोजना के समापन के बाद, उसके निष्कर्षों के आधार पर इसके देशभर में विस्तार की संभावना का मूल्यांकन किया जाएगा।
ड्रोन के माध्यम से लोडिंग के दौरान वैगनों की निगरानी की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता का पता लगाया जा सके। इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि माल का वितरण समान रूप से हो, जिससे ट्रेन संचालन के दौरान किसी भी दुर्घटना या क्षति का जोखिम कम हो।
ड्रोन से प्राप्त लाइव फुटेज और तस्वीरों का उपयोग करके तुरंत निर्णय लिए जा सकेंगे। साथ ही एकत्रित डेटा का विश्लेषण विशेष साफ्टवेयर के माध्यम से किया जाएगा, जिससे लोडिंग पैटर्न और विसंगतियों की पहचान में मदद मिलेगी।
ड्रोन वैगनों को स्कैन करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लोड समान रूप से वितरित किया गया है। परियोजना के तहत प्रशिक्षित ड्रोन ऑपरेटर तैनात किए जाएंगे जो टर्मिनलों पर ड्रोन की मदद से निगरानी करेंगे। साथ ही साफ्टवेयर स्वचालित रूप से असमान लोडिंग का पता लगाएगा, जिससे मानवीय त्रुटि की संभावना कम होगी। इसके अलावा मासिक डाटा और अपवाद रिपोर्ट तैयार किया जाएगा।
'यह तकनीक न केवल मानवीय त्रुटियों को कम करेगी बल्कि पूरी लोडिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ाएगी।'
सुरेंद्र कुमार अहिरवार, कार्यकारी निदेशक, ट्रैफिक कमर्शियल, रेलवे बोर्ड
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