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नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। अभी तक सिर्फ बड़े निजी अस्पतालों तक सीमित रोबोटिक सर्जरी की हाई-टेक तकनीक अब सरकारी अस्पतालों में भी उपलब्ध होगी। इससे जटिल बीमारियों के इलाज में क्रांति आ जाएगी।
मप्र चिकित्सा शिक्षा विभाग के अनुसार, भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में किडनी और यूरोलाजी से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी यूनिट बनाई जा रही है। इस यूनिट से मरीजों को जटिल ऑपरेशन की सुविधा मिलेगी।
दावा है कि इससे इलाज का समय आधा और सर्जरी की सफलता की दर दोगुनी हो जाएगी। जीएमसी के पुराने ट्रॉमा ब्लॉक में बनने वाली यह यूनिट रोबोटिक ट्रेनिंग, रिसर्च और यूरो-आन्कोलाजी (कैंसर) के जटिल मामलों के समाधान का हब बनेगी। प्रोफेसर डॉ. सौरभ जैन का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी सबसे सुरक्षित तकनीक है और यही भविष्य है।
एम्स में जल्द स्थापित होगा 'दा विंची रोबोटिक सिस्टम'
एम्स का यूरोलाजी विभाग भी जल्द ही 'दा विंची रोबोटिक सिस्टम' स्थापित करने जा रहा है। यह सिस्टम भारत के चुनिंदा सरकारी संस्थानों में शामिल होगा, जहां यह प्रसिद्ध तकनीक उपलब्ध है। दा विंची रोबोट का कैमरा इंसानी आंख से 10 गुना अधिक संवेदनशील है, जो सर्जरी को थ्री-डी हाई-डेफिनिशन में दिखाता है। इससे डॉक्टर बेहद बारीक नसों और गहराई में मौजूद ट्यूमर को भी स्पष्ट देख सकते हैं।
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यूरोलाजी विभाग का कहना है कि रोबोटिक सिस्टम से मरीज को बड़े कट की जरूरत नहीं पड़ेगी, खून का बहाव कम होगा और रिकवरी तीन से चार गुना तेजी से होगी। इस तकनीक के आने से अब किडनी के ट्यूमर, कैंसर, ट्रांसप्लांट और जटिल प्रोस्टेट सर्जरी के लिए मरीजों को दिल्ली, मुंबई या महंगे निजी अस्पतालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। रोबोटिक मदद से डॉक्टर एक मिलीमीटर से कम की मूवमेंट कर सकते हैं, जिससे गलतियों की संभावना खत्म हो जाती है।