नईदुनिया, ग्वालियर/भोपाल। काली कमाई का मालिक पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा का साला शुभम तिवारी भी ग्वालियर छोड़ गया है। शुभम फिलहाल कहां है, यह किसी को नहीं पता है।
पहले शुभम ने अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट किया, फिर पत्नी सहित जानने वालों का कराया और गायब हो गया है। शुभम और साैरभ के बीच काफी करीबी है और सौरभ के कारोबार में पत्नी दिव्या के साथ-साथ शुभम भी कई काम संभालता है।
पत्नी दिव्या का भोपाल में फिटनेस क्लब भी है, जिसका संचालन वो खुद देखती थी। सौरभ के यहां लोकायुक्त के छापे के बाद और फिर सौरभ के करीब चेतन सिंह की कार में सोना-कैश मिलने के बाद सौरभ की ससुराल वाले भी सतर्क हो गए थे। बताया गया है कि एक दिन पहले यहां से कुछ सामान भी बाहर निकलवाया गया।
सौरभ को लेकर परिवहन मुख्यालय से लेकर जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय तक में इन दिनों भारी चर्चा है। सौरभ शर्मा के कई जानने वाले कार्यालयों में पदस्थ हैं और दबी जुबान से अलग-अलग बातें कर रहे हैं।
विभाग के कुछ लोगों का कहना है कि सौरभ ने ग्वालियर में शुरुआत जरूर की, लेकिन इसके बाद भोपाल की ओर रुख करने में देर नहीं की। सौरभ के अलग-अलग कारोबारों में पार्टनर भी हैं। जिस तरह रोहित तिवारी व शरद जायसवाल पार्टनर हैं, उसमें एक मेहता भी सौरभ का काफी नजदीकी है।
शरद जायसवाल होटल फाटिगो भोपाल का भी काम देखता है। वहीं मेहता भी होटल से लेकर रियल स्टेट कारोबार में सौरभ का साथ देता है।
इस बीच, परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की नियुक्ति नियम विरुद्ध बताई जा रही है। इसमें ग्वालियर अंचल के कांग्रेस से जुड़े एक कद्दावर नेता और पूर्व विधायक का बड़ा हाथ है। तत्कालीन कलेक्टर पर भोपाल तक से दबाव डलवाकर दो बार अनुकंपा नियुक्ति को लेकर प्रस्ताव भिजवाया गया।
परिवहन आयुक्त के स्टेनो ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। आखिर सौरभ को यह लोग परिवहन विभाग में लाने में कामयाब हो गए। पूर्व मुख्यमंत्री तक से पूर्व विधायक ने प्रदेश के मंत्रियों को सौरभ के लिए सिफारिश कराई थी।
यह पूर्व विधायक सौरभ के परिवार से सालों से जुड़े हैं। सौरभ की नियुक्ति होने के बाद उसे परिवहन विभाग के दांव-पेंच सीखते में अधिक समय नहीं लगा। दो साल तक भाजपा सरकार में उसने पूरे दांव-पेंच सीखकर परिवहन चेक पोस्टों का ठेका उठाया।
फिर जैसे ही कांग्रेस सरकार आई, तो वह और अधिक पावर में आ गया। कांग्रेस सरकार के 15 महीने के कार्यकाल में परिवहन विभाग में कई बड़े अफसरों तक को वह दरकिनार करने लगा था। इसे लेकर उसका खूब विरोध हुआ था। विभाग के अंदर ही उसकी शिकायतें भी हुई थी।
ग्वालियर के रहने वाले वकील अवधेश तोमर ने सौरभ शर्मा को दी गई अनुकंपा नियुक्ति में नियमों, दस्तावेजों की जानकारी के लिए आरटीआई लगाई। अवधेश बताते हैं कि बार-बार आवेदन लगाने के बाद भी विभाग ने उन्हें जानकारी दी।
उनका कहना है कि सौरभ का भाई सचिन सरकारी नौकरी में है। वह छत्तीसगढ़ में डिप्टी डायरेक्टर फायनेंस के पद पर पदस्थ है, इसलिए सौरभ को नौकरी मिल ही नहीं सकती थी। यही वजह है- उसकी नियुक्ति नियम विरुद्ध है।