नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। इंदौर के एक व्यवसायी का रिफाइंड सोया ऑयल से भरा टैंकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसका बीमा था। बीमित अवधि में टैंकर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बावजूद कंपनी ने बीमा राशि देने से इनकार कर दिया। बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि 48 घंटे के अंदर व्यवसायी ने सूचना नहीं दी। इस कारण बीमा राशि पाने का हकदार नहीं है।
मामला राज्य उपभोक्ता आयोग पहुंचा. याचिका पर फैसला सुनाते हुए राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को इस प्रवृत्ति के फटकार लगाई है। वहीं बीमा दावे की रकम छह लाख 97 हजार रुपये के भुगतान का आदेश दिया है। दरअसल इंदौर निवासी मेसर्स सीताराम नारायण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ अपील लगाई थी।
व्यवसायी का कहना था कि उन्होंने बीमा कंपनी से अक्टूबर 2009 से अक्टूबर 2010 तक के लिए 50 लाख रुपये की मरीन कार्गो ओपन बीमा पॉलिसी ली थी। इसमें नुकसान की भरपाई करने की शर्त थी। अगस्त 2010 में इस फर्म का सोया ऑयल से भरा टैंकर अशोकनगर से शाजापुर जाते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। व्यवसायी ने बीमा कंपनी को सूचना दी। उसके बाद कंपनी के सर्वेयर ने दुर्घटना स्थल का दौरा कर अपनी रिपोर्ट बनाई।
इसके आधार पर फर्म ने बीमा भुगतान का दावा किया लेकिन बीमा कंपनी ने इसे यह कहकर निरस्त कर दिया कि उन्होंने 48 घंटे के अंदर सूचना नहीं दी। व्यवासायी का कहना था कि सर्वेयर की रिपोर्ट सहित डिक्लरेशन 48 घंटे के अंदर ही दिया जाना था, लेकिन रविवार को अवकाश था। इस कारण सूचना देरी से दी जा सकी। आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया।
राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत पांडेय व सदस्य मोनिका मलिक की बेंच ने कहा कि 48 घंटे की देरी जैसे तकनीकी कारणों का बहाना बनाकर बीमा कंपनी दावे की राशि देने से बच नहीं सकती है। उन्होंने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए बीमा राशि छह लाख 97 हजार रुपये छह प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया है।
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