
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। नाम शिकारा, काम जुगाड़ का और दाम आसमान पर। जी हां हम बात कर रहे हैं बड़ी झील पर चल रहे शिकारा बोट की। जहां सैलानियों को कश्मीर का अनुभव देने का एमपीटी ने वादा किया गया था। लेकिन हकीकत इन तस्वीरों में देखिए 6 लोगों को बैठने के लिए एक संकरी सी नाव है जहां पैर फैलाने तक की जगह नहीं है। 450 रुपये की मोटी रकम लेकर सिर्फ 20 मिनट के लिए झील के किनारे घुमाया जाता है। यह शिकारा बोटिंग कम, पर्यटकों के साथ किया जा रहा एक सिस्टमैटिक स्कैम ज्यादा नजर आ रहा है। गौरतलब है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर मध्य प्रदेश पर्यटन बड़ी झील में जो शिकारा बोट्स संचालित कर रहा है, वह सुविधा कम और छलावा ज्यादा नजर आ रही हैं।
पहली नजर में ये नावें शिकारा नहीं, बल्कि मछली पकड़ने वाली उन छोटी डोंगियों (नावों) जैसी दिखती हैं, जिन्हें जुगाड़ से मोडिफाई किया गया है। इनमें न बैठने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम। इंजीनियरिंग फेल : न बैठने का सही इंतजाम, न सुरक्षा के पुख्ता मानक। छोटी नावों पर छत लादकर किया अनबैलेंस्ड। बड़ी झील में चल रहे शिकारा का स्पेस मैनेजमेंट और खराब डिजाइन पर्यटकों के लिए मुसीबत बना हुआ है। शिकारा में छह लोगों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। लोगों को एक-दूसरे से सटकर बैठना पड़ता है। जबकि शिकारा का मतलब होता है सुकून और फैलाव, लेकिन यहां लोकल बस जैसी स्थिति है। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि नाम बड़े और दर्शन छोटे, शिकारा में पैर फैलाने की भी जगह नहीं, घुटनों के बल पर्यटक झील की सैर कर रहे हैं।
शिकारा के नाम पर छलावा, न वो नक्काशी, न वो आराम। कश्मीर का शिकारा अपनी मखमली सीटों, लकड़ी की बारीक नक्काशी और रायल फीलिंग के लिए जाना जाता है, लेकिन बड़ी झील में चल रहा शिकारा बोट मछली पकड़ने वाली नावों नजर आती है। इस पर टिन की छत या प्लास्टिक की कुर्सी और पर्दा डालकर उसे शिकारा का नाम दे दिया गया है। धोखा : डल झील जैसा अनुभव देने का वादा कर एमपीटी पर्यटकों को बना रहा उल्लू।
मछली पकड़ने वाली नाव पर बिठा रहे हैं सैलानी। बड़ी झील पर कुछ नाव ऐसी भी नजर आई, जो एमपीटी द्वारा संचालित नहीं की जा रही। कुछ नाव चलाने वालों ने इनको मोडिफाइ कर झील में चल रही शिकारा की तरह बना रखा है। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि पर्यटकों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पुरानी जर्जर नांव को अवैध रूप से शिकारा बना रखा है।
जेब पर डाका, 20 मिनट के 450 रुपये, पर सुविधा शून्य। शिकारा में बैठकर झील का आनंद लेने वाले पर्यटकों की जेब पर डाका डाल रहा है। 20 मिनट की सैर के लिए 450 रुपये 6 व्यक्ति और 300 रुपये 4 व्यक्ति का किराया वसूला जा रहा है। यह किराया प्रीमियम क्रूज जैसा है, लेकिन सुविधा एक साधारण नाव जैसी भी नहीं है। 20 मिनट में नाव मुश्किल से तट से कुछ ही मीटर दूर जा पाती है कि वापस आने का समय हो जाता है। लूट : 20 मिनट की सैर के लिए 450 रुपये लेना सीधे तौर पर जनता की जेब काटना।
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