नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल (Second Hand Vehicle Insurance): भोपाल के जिला उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बीमा कंपनी इस तर्क पर वाहन की बीमित राशि चुकाने से इन्कार नहीं कर सकती कि वाहन सेकंड हैंड है। आयोग ने कंपनी को पूरी बीमा राशि पांच लाख 63 हजार रुपये उपभोक्ता को देने के आदेश दिए हैं। उसके साथ ही कंपनी को हर्जाना देने का भी आदेश दिया है।
दरअसल शाहपुरा निवासी रमेश कुमार ने एक सेकेंड हैंड कार खरीदी। 2018 में उन्होंने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से पांच लाख 63 हजार रुपये का बीमा कराया। इसके लिए प्रीमियम राशि 17 हजार 700 रुपये थी। यह बीमा 26 जनवरी 2018 से 25 जनवरी 2019 तक की अवधि के लिए था।
16 जनवरी 2019 को एक दुर्घटना में उनकी कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। रमेश कुमार ने बीमा कंपनी को इसकी सूचना दे दी। कंपनी ने बीमाकृत वाहन का मूल्य चार लाख 15 हजार रुपया आंका। उसके बाद अन्य कटौती के बाद केवल दो लाख 94 हजार रुपया देने को तैयार हुई।
रमेश कुमार नहीं माने। उनका कहना था कि बीमित वाहन के पूरे नुकसान के आधार पर उनको पूरी बीमा राशि यानी पांच लाख 67 हजार रुपये मिलने चाहिए। कंपनी नहीं मानी तो उन्होंने 2020 में उपभोक्ता आयोग में शिकायत की।
सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल व सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडेय की बेंच ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया। उन्होंने बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि वह दो माह के भीतर उपभोक्ता को पूरी बीमित राशि पांच लाख 63 हजार रुपया और मानसिक क्षतिपूर्ति के 15 हजार रुपया अदा करे।
बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि बीमित वाहन सेकंड हैंड थी। इस कारण उपभोक्ता आधी राशि का हकदार है। आयोग ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि वाहन का बीमा था और बीमित अवधि में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।