नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। किशोर व किशोरियों में बढ़ते अवसाद और आत्मघाती जैसे कदम उठाने से बचाने के लिए मनोविज्ञानी काउंसलिंग करने के लिए उमंग हेल्पलाइन एवं परामर्श केंद्र शुरू किया गया था। अब यह हेल्पलाइन सेवा जून से पूरी तरह बंद है। विद्यार्थियों की काउंसलिंग नहीं की जा रही है। यह हेल्पलाइन सेवा मप्र स्कूल शिक्षा विभाग एवं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के सहयोग से 2020 में शुरू किया गया था।
हेल्पलाइन का टोल फ्री नंबर 14425 पर प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों से भी कॉल आते थे। इसके अलावा विकासखंड स्तर पर 313 परमार्श केंद्र भी खोले गए थे। ये केंद्र भी बंद कर दिए गए है। इसमें सबसे अधिक कोविडकाल के दौरान स्कूली विद्यार्थियों की काउंसलिंग की गई थी। साल भर में करीब एक से ड़ेढ़ लाख कॉल आते थे। इसमें पढ़ाई के अलावा रिलेशन, परीक्षा का तनाव, अवसाद सहित कई प्रकार के अलग-अलग श्रेणी की परेशानियों के कॉल आते थे।
यूएनएफपीए के अधिकारियों का कहना है कि दो साल तक इस हेल्पलाइन सेवा को उनके माध्यम से संचालित होने वाला था। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी थी, लेकिन विभाग ने इसे बंद कर दिया। उधर, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस हेल्पलाइन को संचालित करने की जिम्मेदारी यूएनएफपीए की है। इसके लिए केंद्र से कोई अलग से बजट जारी नहीं किया जाता है।
यूएनएफपीए की तब्बसुम का कहना है कि करीब चार साल से उनकी संस्था ही इस हेल्पलाइन को संचालित कर रहा है। अब स्कूली शिक्षा विभाग इसे बंद कर रहा है। विभाग इसके लिए संभाग स्तर पर काउंसलिंग सेंटर खोलने वाला था और काउंसलराें की नियुक्ति की जानी थी। इसके लिए जीवन कौशल शिक्षा आधारित करिकुलम भी तैयार किया गया था। इससे बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए थे। अब इन केंद्रों के बंद होने से विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है।
उमंग हेल्पलाइन एवं परामर्श केंद्र 313 विकासखंड स्तर पर खोले जाने थे। इनमें 626 काउंसलरों की नियुक्ति की जानी थी, लेकिन अब तक सिर्फ कुछ 206 सांदीपनि विद्यालयों में ही काउंसलर नियुक्त किए गए हैं। दूसरे सरकारी स्कूलों में कांउसलर की नियुक्ति नहीं की गई है।
उमंग हेल्पलाइन सेवा को संचालित करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से यूएनएफपीए की है। इस कारण विभाग इसे संचालित करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। - मनीषा सेंथिया, अपर मिशन संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय
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