एजेंसी, नई दिल्ली/भोपाल। मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई टिप्पणी के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च अदालत ने अपनी टिप्पणी पर सार्वजनिक रूप से माफी न मांगने पर विजय शाह की खिंचाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यही कारण है कि कोर्ट को मध्य प्रदेश के मंत्री के इरादों और ईमानदारी पर संदेह पैदा हो रहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को 13 अगस्त तक जांच पूरी करने और अदालत को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
इस विवाद की शुरुआत इसी साल 11 मई को इंदौर के महू में विजय शाह के दिए एक बयान से हुई थी। मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए कहा था कि
'उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और पीएम मोदी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर ले सकते हैं।'
इस टिप्पणी की व्यापक निंदा हुई। मंत्री के बयान के खिलाफ देशभर में उपजे आक्रोश और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 19 मई को तीन सदस्यीय एसआईटी के गठन का निर्देश दिया।
आईजी प्रमोद वर्मा, डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती और डिंडोरी एसपी वाहिनी सिंह वाली एसआईटी ने 20 मई को अपनी जांच शुरू की थी।