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नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। सीहोर स्थित वीआइटी विश्वविद्यालय में हुई तोड़फोड़,उग्र प्रदर्शन और आगजनी की घटना के मामले में मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें सामने आया है कि वीआइटी विश्वविद्यालय परिसर में तानाशाह रवैया अपनाया जाता है। प्रताड़ना और खौफ का भय विद्यार्थियों के मन में बना हुआ है। किसी तरह की शिकायत या मैनेजमेंट के खिलाफ बात करने पर विद्यार्थियों को फेल करने की धमकी दी जाती थी।
आईकार्ड जब्त कर उन्हें परीक्षा में शामिल होने से रोकने, प्रायोगिक परीक्षा में कम अंक देने जैसे बातें भी सामने आई हैं। भोजन व्यवस्था की शिकायत करने पर विद्यार्थियों की सुनवाई नहीं होती है, यह कहा जाता है कि जो बना है, वो ही खाना पड़ेगा। विश्वविद्यालय में करीब 15 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जो छात्रावासों में रहते हैं। छात्रावासों में मेस की सेवाएं अत्यंत असंतोषजनक है। भोजन व जलपान की गुणवत्ता बेहद खराब है। छात्राओं द्वारा पेयजल में दुर्गंध आने की बात सामने आई है।
पेयजल एवं अन्य जल संसाधनों का नियमित माइक्रोबायोलॉजिकल ऑडिट का भी पालन नहीं किया जा रहा है। दस दिन के अंदर 35 छात्राओं को पीलिया बीमारी से ग्रस्त होने की बात को प्रबंधन ने खुद ही स्वीकार किया है, हालांकि किसी छात्रा के मौत की बात इस जांच में सामने नहीं आया है। समिति ने जांच समिति की रिपोर्ट के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने वीआईटी भोपाल के कुलाधिपति को नोटिस जारी कर सात दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है। यह भी कहा है कि जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी।
जांच में यह बात भी सामने आई कि विवि परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में कितने विद्यार्थियों को पीलिया की बीमारी हुई।इसका कोई रिकार्ड नहीं था। पीलिया बीमारी फैलने की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन इसे छुपा रहा था और लीपापोती के प्रयास किए जा रहे थे। किसी तरह के सुरक्षा के उपाया या नियंत्रण करने के प्रसास नहीं किए गए। स्वास्थ्य केंद्र का पंजीयन भी नहीं पाया गया।
साथ ही विवि बिगड़ती परिस्थितियां को संभालने में घोर असफल रहा। विद्यार्थियों ने अपने साथियों को बीमार होते देखा और अस्पताल ले जाने के स्थान पर उन्हें अपने घर जाने की सलाह प्रबंधन द्वारा दी गई, जिससे वे आक्रोशित हो गए। अनेक अवसरों पर विद्यार्थियों व अभिभावाकों को लिखित में सूचित नहीं किया जाता है। समिति ने जांच में यह भी पाया कि विवि प्रशासन में अधिकार उच्च स्तर पर केवल दो-तीन अधिकारियों तक ही केंद्रित है।
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