नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी का हमीदिया महाविद्यालय को पिछले साल प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज का दर्जा दिया गया है। जिले में 55 कॉलेज हैं, जिन्हें इस योजना के तहत सर्वसुविधायुक्त किया जाना है। 150 साल पुराने कॉलेज के प्रशासनिक भवन का एक साल बाद भी कोई सुधार कार्य नहीं किया। कॉलेज के प्रशासनिक जर्जर भवन का गलियारा का हिस्सा सोमवार को गिर गया। तालाब के किनारे भवन होने के कारण दीवार गिरकर भरभरा गई। घटना के समय क्षतिग्रस्त गलियारे में कोई मौजूद नहीं था।
हालांकि, वर्तमान प्राचार्य अनिल शिवानी हादसे से 10 मिनट पहले ही वे यहीं से गुजरे थे। यह गलियारा प्राचार्य कक्ष से लगा हुआ है और प्रसाधन कक्ष है। इस कारण अधिकारियों व कर्मचारियों की आवाजाही बनी रहती है। प्राचार्य ने बताया कि पहली मंजिल से लेकर पूरी दीवार दोपहर में भरभरा कर गिर गई। सभी प्रशासनिक भवन से निकलकर भाग गए। किसी को कोई क्षति नहीं हुई। इसके बाद विभाग को सूचना दी गई। अतिरिक्त संचालक मथुरा प्रसाद विभागीय टीम के साथ महाविद्यालय पहुंचकर निरीक्षण कर गए।
बता दें, कि वर्तमान प्राचार्य एक सितंबर को कार्यभार ग्रहण किए हैं। इससे पहले की प्राचार्य पुष्पलता चौकसे 30 अगस्त को सेवानिवृत्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि बताया कि जर्जर भवन की मरम्मत को लेकर करीब सात से आठ बार उच्च शिक्षा विभाग, पीडब्ल्यूडी और कलेक्टर को पत्र लिखे गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक मुख्य गेट के पास अतिक्रमण को लेकर भी प्राचार्य द्वारा कलेक्टर को कई बार पत्र लिखे गए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रशासनिक भवन के गलियारे का जो हिस्सा सोमवार को टूटकर तालाब में गिरा है। वह आवाजाही के लिए प्रमुख था।यहां से कॉलेज के प्राचार्य से लेकर स्टाफ और कामर्स के विद्यार्थी अपनी कक्षा में जाते थे। इससे लगे हुए हिस्से में अभी भी अकाउंटस विभाग, कंप्यूटर लैब,प्राचार्य कक्ष जैसे महत्वपूर्ण कई कक्ष मौजूद हैं।
पूर्व प्राचार्य चौकसे ने बताया कि सात माह पहले प्रशासनिक भवन के जर्जर हालत को देखते हुए उसके ऊपर की मंजिल पर भाषा विभाग संचालित होते थे। हिंदी,उर्दू,अंग्रेजी व संस्कृत की कक्षाएं भी लगती थी, लेकिन इन कक्षाओं को नए भवन में शिफ्ट करवा दिया गया था।
पूर्व प्राचार्य ने बताया कि सात साल पहले कामर्स विभाग का सी ब्लाक गिरकर तालाब में समा गया था। इसे नगर निगम ने इसे डेंजर घोषित किया गया था, लेकिन इस घटना के बाद भी कालेज में नए भवन के निर्माण कार्य नहीं हुए। कई बार पत्र लिखे गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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