
डिजिटल डेस्क। 'अगले दो दिनों तक MP में होगी बारिश, IMD ने जारी किया अलर्ट...' अगर आप खबरों के प्रति जागरूक है तो इससे मिलती-जुलती हेडलाइन आपके स्क्रीन पर भी आया होगा। मगर, क्या आपने कभी सोचा है कि मौसम विभाग (IMD) कैसे बताता है कि कल बारिश होगी या लू चलेगी? आखिर वो कौन-सी तकनीकें हैं, जिनसे मौसम वैज्ञानिक इतनी दूर की भविष्यवाणी कर लेते हैं? आइए जानते हैं कि मौसम का पूर्वानुमान यानी Weather Forecast कैसे तैयार होता है।
मौसम पूर्वानुमान विज्ञान की एक शाखा है जिसमें किसी जगह की वायुमंडलीय स्थिति का वैज्ञानिक ढंग से अनुमान लगाया जाता है। यानी मौसम वैज्ञानिक यह पता लगाते हैं कि आने वाले समय में हवा, तापमान, नमी और बारिश जैसी परिस्थितियां कैसी रहेंगी।
पहले के समय में लोग आकाश देखकर या बैरोमीटर जैसे साधनों से मौसम का अनुमान लगाते थे। लेकिन अब यह काम पूरी तरह से आधुनिक कंप्यूटर, उपग्रहों और रडार की मदद से किया जाता है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) हर दिन देशभर के हजारों स्थानों से हवा, नमी, तापमान और दबाव से जुड़ा डेटा इकट्ठा करता है। ये आंकड़े जमीन के स्टेशनों, समुद्र के बुआ, हवाई गुब्बारों और उपग्रहों से मिलते हैं। इस विषय पर पूरी जानकारी मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने दी।
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1. उपग्रह (Satellites): आसमान से तस्वीरें लेकर बादलों की स्थिति, हवा की दिशा और तापमान का पता लगाते हैं।
2. डॉप्लर रडार (Doppler Radar): हवा की गति और दिशा मापने में मदद करता है। इससे तूफानों, चक्रवातों और भारी बारिश की जानकारी पहले ही मिल जाती है।
3. सुपर कंप्यूटर (Supercomputers): ये मशीनें वायुमंडल के जटिल गणितीय मॉडलों पर काम करती हैं और लाखों गणनाओं के आधार पर मौसम का अनुमान लगाती हैं।
पिछले कुछ सालों में भारत ने मौसम पूर्वानुमान में बड़ी सफलता हासिल की है। जैसे - ओडिशा और आंध्रप्रदेश का फाइलिन चक्रवात, हुदहुद, निलोफर या ओखी तूफान - इन सभी की जानकारी मौसम विभाग ने पहले ही दे दी थी।
इससे लाखों लोगों की जानें बचीं और संपत्ति का नुकसान भी काफी कम हुआ।
मौसम विभाग तीन तरह के पूर्वानुमान जारी करता है -
मध्यम अवधि के पूर्वानुमान सबसे कठिन होते हैं क्योंकि इनमें कई मौसमीय घटनाओं का असर जोड़कर गणना करनी पड़ती है।
आजकल मौसम विभाग “समष्टि पूर्वानुमान” (Ensemble Forecast) तकनीक का इस्तेमाल करता है। इसमें एक ही परिस्थिति के कई अलग-अलग गणितीय मॉडल चलाए जाते हैं।
अगर ज्यादातर मॉडल एक जैसी भविष्यवाणी दें, तो विभाग को भरोसा होता है कि पूर्वानुमान सटीक है।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में मानसून का अनुमान सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए वैज्ञानिक समुद्री तापमान, हवा की दिशा, जेट स्ट्रीम और एल-नीनो जैसे कारकों का अध्ययन करते हैं। हालांकि, मौसम एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिए कभी-कभी पूर्वानुमान में थोड़ी चूक भी हो जाती है।
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