राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। बच्चों को जहरीला कोल्ड्रिफ सीरप लिखने वाला शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी हर दिन करीब 150 मरीज देखता था। शासकीय अस्पताल में पदस्थ सोनी ने सितंबर महीने में अवकाश लेकर करीब पांच हजार से अधिक बच्चों को देखा, जिनमें लगभग 300 को कोल्ड्रिफ कफ सीरप लिखी। उसके क्लीनिक से जब्त रजिस्टर में बच्चों के नाम और अभिभावकों के मोबाइल नंबर लिखे हैं। इसी सूची के आधार पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लोगों से संपर्क कर पर्चा और कोल्ड्रिफ की बोतल वापस ले रहे हैं।
बड़ी बात यह भी है कि डॉ. सोनी बीमार बच्चों को अपने क्लीनिक से जुड़े डे-केयर सेंटर में भर्ती भी करता था, जिसमें एक दिन का दो से पांच हजार रुपये तक का बिल बनता था। जिन बच्चों की कोल्ड्रिफ कफ सीरप पीने से किडनी खराब हुई, उनमें कई इस डे-केयर में भर्ती हुए थे। मृत बच्चे अदनान के दादा शाजिद ने बताया कि जीवन ज्योति मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के नाम से 10 से अधिक बिस्तरों का डे-केयर चल रहा था। सिविल अस्पताल परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत होने के बाद भी डा. सोनी अस्पताल के समय अपने क्लीनिक में बच्चों का इलाज करता था।
खुद अस्पताल के कर्मचारियों ने डरते हुए बिना नाम बताए यह बात कही। उन्होंने दावा किया कि अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज से सामने आ जाएगा, डा. सोनी कब अस्पताल आता था। कफ सीरप से जान गंवाने वाले अदनान और विकास यदुवंशी के स्वजन ने भी बताया कि उन्होंने अगस्त में सुबह 11 से 12 के बीच बच्चों को दिखाया था।
सिविल अस्पताल का ही डा. अमन सिद्दीकी भी सोनी की क्लीनिक में बैठकर बच्चों का इलाज कर रहा था। उसने भी एक बच्चे को कोल्ड्रिफ लिखी थी, पर पर्चे में दस्तखत नहीं किए। यह सब देखते-जानते हुए सभी छिंदवाड़ा के सीएमएचओ, बीएमओ और प्रशासनिक अधिकारियों ने यह देखने की कोशिश नहीं की कि क्लीनिक, डे केयर और प्रवीण सोनी की सेवाएं नियमानुसार चल रही हैं या नहीं।