नईदुनिया प्रतिनिधि, छिंदवाड़ा: गर्भवती माता को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाने शासन की जननी एक्सप्रेस योजना ग्रामीण इलाकों में फेल हो रही है। ऐसा मामला पगारा के लोनापठार पंचायत के गांव पाठाखुरी में सामने आया जब सोमवार को गर्भवती महिला को बैलगाड़ी में सवार होकर साढ़े तीन किमी का सफर तय करना पड़ा।
बता दें कि, खराब सड़क ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है। पाठाखुरी की गर्भवती महिला को बैलगाड़ी से सफर कराया गया। एंबुलेंस में महिला ने बच्चे को जन्म दिया। बैलगाड़ी के लोहे के पहियों की चरमर की आवाज, कपड़े पॉलीथीन से ढंकी बैलगाडी, चारों ओर चलते लोग ये किसी फिल्म के सीन की तरह का फ्रेम था। पाठाखुरी में छिंदा देवरी से फूलकुमारी अपने मायके आई थी। उसे मायके में ही प्रसव पीड़ा प्रारंभ हो गई। गांव की आशा कार्यकर्ता अनिल कुमारी विश्वकर्मा को फोन किया गया। उन्होंने 108 एंबुलेंस को काल किया।
तुरसी मुख्य मार्ग से पाठाखुरी जाने का रास्ता बेहद खराब है। इसलिए एंबुलेंस गांव तक नहीं आती। मुख्य सड़क पर एंबुलेंस को खड़े करवाया जाता है। गांव से पीड़ित मरीज को अपने साधन से वहां तक लाना पड़ता है। फूलकुमारी को बैलगाड़ी में बैठाया गया। आशा कार्यकर्ता और परिवार की महिलाएं साथ आईं। कई जगह बैलगाड़ी कीचड़ में फंसी इसके बाद एंबुलेंस तक पहुंचा जा सका।
पहाड़ गांवों के लिए सुंदरता हैं वहीं बारिश में यही पहाड़ मुसीबत बन जाती है। आशा कार्यकर्ता ने बताया कि बारिश में इस गांव में गर्भवती महिला को ले जाना बेहद कठिन कार्य है। इस गांव में सड़क बनती है तो पाठाखुरी सीधा मुख्य सड़क से और लोनापठार मुख्यालय से जुड़ जाएगा।
रीवा जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत हिनौता पंचायत के ग्राम गोहिया में डेढ़ किलोमीटर सड़क न हो पाने के कारण एक महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि स्वजन ने हालात बिगड़ने पर सूचना 108 एंबुलेंस को दी थी लेकिन सड़क न होने से वह भी गांव नहीं पहुंची और महिला की मौत बिना उपचार के हो गई।
मृतका सीता सिंह के स्वजन सुनील सिंह ने बताया कि यह दुर्दशा हिनौता पंचायत के गुहिया गांव की है। उन्होंने बताया कि सीता सिंह की तबीयत खराब थी जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाना था। इसके लिए 108 एंबुलेंस को सूचित किया गया लेकिन डेढ़ किलोमीटर तक रास्ता ना हो पाने के कारण एंबुलेंस नहीं आ सकी और महिला ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। बिना उपचार के हुई महिला की मौत के बाद परिजनों में आक्रोश है। सुनील की माने तो यहां तकरीबन 20 घरों की बस्ती है।