दमोह। स्कूल में कमियां देखना या इसे देखकर बुराईयां करना आम बात हैं। लेकिन इस कमीं को पूरा करने के लिए आगे आना बड़ी बात हैं। क्योंकि, अब वक्त सिर्फ खामी निकालने का नहीं। बल्कि उसे खत्म करने का भी हैं, जिसके लिए सरकार के साथ-साथ कदम मिलाकर हमें भी काम करने की जरूरत हैं। इसी उद्देश्य के चलते मप्र शासन ने अब स्कूलों का विकास करने के लिए नई योजना प्लान की हैं। जिसमें स्कूलों को उपहार देकर आप भी स्कूल के विकास में सहभागी बन सकते हैं। यह योजना प्रदेश के हर सरकारी स्कूल के लिए हैं।
स्कूलों की जरूरतो, समाज के विभिन्न वर्गो को स्कूलों के साथ जोड़ने एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराने, स्कूलों को वस्तुरूप सहायता उपलब्ध कराने और उनका अधोसंरचना के साथ अकादमिक विकास करने के मकसद से मप्र शासन द्वारा शुरु की गई इस योजना का लाभ जल्द ही स्कूलों को मिलने लगेगा। यह योजना 1 से 12 तक तक के हर सरकारी स्कूल में लागू होगी। योजना के शुरु होते ही स्कूलों की कमियां देखकर उपहार करने वाले लोग व संस्थाए खुलकर उपहार करने लगेगी। इसके लिए वाकायदा एक प्लान भी तैयार किया गया है, जिसके तहत की उपहार दिया जाएगा और अन्य गतिविधियां संचालित होगी।
यह रहेगी योजना की प्रक्रिया
योजना के तहत एजुकेशन पोर्टल पर एक आइकॉन उपलब्ध होगा। पोर्टल पर स्कूल अपने स्कूल की प्रमुख आवश्यकताओं को डालेंगे, जिनकी उन्हें बहुत जरूरत हैं। जरूरत वाली वस्तुओं की स्कूलवार सूची बीआरसी द्वारा पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। जिसके आधार पर कोई भी व्यक्ति, समूह, कंपनी, ट्रस्ट या दानदाता स्कूल को आवश्यक सामग्री उपहार में दे सकेगा। इसके एवज में स्कूल प्रबंधन द्वारा उपहार करने वाले को अभिस्वीकृति व धन्यवाद पत्र दिया जाअगा और उनका नाम भी एजुकेशन पोर्टल पर दिया जाएगा। स्कूल स्तर पर एसएमसी इसका संचालन करेगी।
क्या-क्या कर सकते है उपहार
अगर आप स्कूलों को उपहार करना चाहते हैं। तो आप पानी फिल्टर, नल कनेक्शन, वॉटर कूलर, ट्यूबवेल इलेक्ट्रिक मोटर, पंखे, सीएफएल,एलईडी, सोलर लाइट, सौर ऊर्जा उपकरण, शिक्षण सहायक सामग्री, ग्रीड बोर्ड, मानचित्र, कम्पयूटर, टटीवी, वेटरी, अलमारी, लेब के उपकरण, फर्नीचर, खेल सामग्री आदि स्कूल को उपहार में दे सकते हैं। इसके अलावा शौचालय के ऊपर ओवरहेड टैंक लगवाना, खेल मैदान का समतलीकरण, स्कूल भवन की मरम्मत, पुताई करवाना, वाउंड्री या फेंसिंग कराने, पेड़-पौधों की फेंसिंग, स्कूल के लिए भूमि देना, स्कूल बनवाने जैसे कार्य भी करवाकर स्कूल विकास के सहभागी बन सकते हैं। योजना के तहत आर्थिक सहायता नहीं की जा सकती हैं।
इनका कहना है-
योजना समाज और स्कूल के जुड़ाव की हैं। इस योजना से जुड़कर व्यक्ति, संस्था या औद्योगित प्रतिष्ठानों द्वारा स्कूलों की बेहतरी और विकास के लिए कार्य किया जा सकता हैं। सभी को आगे आकर स्कूलों के विकास लिए आवश्यक वस्तुओं को उपहार स्वरूप देना चाहिए।
पारसचंद जैन, मंत्री स्कूल शिक्षा, मप्र शासन