Chaitra Navratri 2024: नईदुनिया न्यूज, पीपरी/देवास। देवास जिले के वन क्षेत्रों में पर्यटन की भरपूर संभावना है। जिले के कई स्थान ऐसे हैं, जहां आसपास के शहरों से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। कई पर्यटन स्थल वर्षा, कई शीत ऋतु तो कुछ गर्मी में भी पर्यटकों से आबाद रहते हैं। कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जिनका महत्व पर्यटन के साथ ही आस्था से भी जुड़ा है। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल देवास और खंडवा जिले की सीमा पर स्थित जयंती माता मंदिर है। यह खंडवा जिले की सीमा में है, परन्तु जिले के पीपरी, कांटाफोड़, सतवास से काफी पास होने के कारण जिले के हजारों श्रद्धालु और पर्यटक यहां सालभर जाते हैं।
रिजर्व फारेस्ट के कई किलोमीटर अंदर होने के कारण प्राकृतिक वन संपदा से भरपूर जयंती माता मंदिर पर नवरात्र में भंडारे सहित अनेक आयोजन माता के भक्तों को आकर्षित करते हैं। दूसरी तरफ भीषण गर्मी में भी यहां लगातार गिरता झरना पर्यटकों के लिए स्वर्ग की तरह है। झरने के ठीक अंदर से होकर भीगते हुए गुफा में प्रवेश का द्वार है, जहां भैरव विराजमान हैं। जयंती माता सिद्ध स्थल पर भी श्रद्धालु मैया के दर्शन लाभ लेने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। कांटाफोड़, सतवास और पीपरी रतनपुर के रास्ते यहां पहुंचने वाले लोगों को घने जंगल का राेमांच अनुभव होता है। कई पर्यटकों को इन तीनों ही रास्तों पर वन्यजीव भी दिखाई देते हैं।
वर्षा के समय सागौन व अन्य वनस्पतियों से भरा यह वन काफी घना हो जाता है, जिसके चलते पर्यावरण प्रेमी बड़ी संख्या में यहां आते हैं। हालांकि वर्षा के समय दोनों ही नदियों में जलस्तर काफी ज्यादा रहता है, जिसके चलते सावधानी बरतने की सलाह भी दी जाती है। बड़ी संख्या में पर्यटकों के यहां आने में सड़क और सुविधाओं की कमी बाधक भी है। यहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है और सड़क भी वर्षा के समय काफी खराब स्थिति में रहती है, जिसको लेकर स्थानीय लोग कई बार मांग उठा चुके हैं।
देवास जिले की सीमा में बहने वाली खारी नदी को पार कर लोग मंदिर तक पहुंचते हैं। खारी नदी को पार करने के लिए लकड़ी का पुल है, जिससे गुजरने पर पर्यटक रोमांचित होते हैं। मंदिर के सामने से ही पहाड़ी में कुछ नीचे की ओर उतरने पर भैरव गुफा है, जिसके उपर से कनेरी नदी झरने के रूप में गिरती है। भीषण गर्मी में भी कनेरी और खारी नदियों का पानी अनवरत बहता रहता है, जिसके चलते पर्यटक यहां अप्रैल और मई के महीनों में भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जयंती माता मंदिर पीपरी से 23 किलोमीटर दूर है। पीपरी से चार पहिया वाहन खारी नदी के इस छोर पर पार्क कर पैदल लकड़ी का पुल पार कर जाना होता है। यहां सतवास और कांटाफोड़ से भी चार पहिया वाहनों के जरिए पहुंचा जा सकता है। सतवास से पामाखेड़ी होकर जयंती माता तक पहुंचने वाले मार्ग से पूरे वर्ष लोग यहां आते हैं।
हर साल बड़ी संख्या में मां नर्मदा के भक्त नर्मदा परिक्रमा पर पैदल निकलते हैं। पैदल परिक्रमा कर रहे भक्त देवास जिले में तरानिया, पोलाखाल, पीपरी, सीतावन होते हुए रतनपुर के बाद जंगल के रास्ते खारी नदी तक पहुंचते हैं। यहां से लकड़ी का पुल पार कर जयंती माता मंदिर पहुंचा जाता है। नर्मदा परिक्रमावासियों के लिए पहले जयंती माता मंदिर नर्मदा भक्त अन्न क्षेत्र भी चलाते हैं। नवरात्रि के अलावा वर्ष पर यहां परिक्रमावासियों एवं श्रद्धालु भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।