दीपक विश्वकर्मा, नईदुनिया। देवास खिवनी अभयारण्य इन दिनों बाघों के नए घर के रूप में पहचान बना रहा है। 134 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस छोटे से अभयारण्य में आठ बाघ और उनके शावक विचरते हैं। बाघों को अब यह घर छोटा लगने लगा है। इस वजह से वह अभयारण्य की सीमा लांघकर रहवासी क्षेत्रों तक भी पहुंच जाते हैं।
इसको देखते हुए वन विभाग अभयारण्य की सीमा बढ़ाने की कवायद में जुटा है। इसकी सीमा में 50 किलोमीटर का विस्तार करने के साथ ही यहां पर्यटक गतिविधि बढ़ाने के लिए भी नई सुविधाएं जुटाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। केंद्र से मंजूरी मिलते ही यहां काम शुरू कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि खिवनी वन्य प्राणी अभयारण्य अपने बाघों के अलावा 125 से ज्यादा प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां हैं। बाघों की बढ़ती गतिविधि के कारण पर्यटकों की संख्या भी यहां बढ़ने लगी है। पिछले वर्ष यहां बाघ युवराज और बाघिन मीरा के चार शावकों ने जन्म लिया था। चारों शावक अब करीब आठ से नौ माह के हो चुके हैं।
युवराज, मीरा और इनके शावकों के अलावा भी यहां दो अन्य बाघ भी हैं। 134 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के हिसाब से बाघों की संख्या अधिक हो चुकी है। अभयारण्य में बाघों के साथ अन्य प्रजातियों के जानवरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अभयारण्य में 50 वर्ग किलोमीटर का इजाफा करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 1956 में खिवनी अभयारण्य की स्थापना हुई थी।
उसके बाद से यह पहला मौका है जब यहां बाघों की संख्या बढ़ रही है। क्षेत्रफल विस्तार के लिए प्रस्ताव भेजा खिवनी अभयारण्य के अधीक्षक विकास माहौरे ने बताया कि हमने क्षेत्रफल विस्तार के लिए प्रस्ताव भेजा है। इसके बाद यहां बाघों के लिए ओर अधिक जंगल आरक्षित हो जाएगा। आसपास के गांवों में रहने वाले आदिवासियों की हस्तकला को प्रोत्साहित करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटक सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में भी काम हो रहा है।
1 - 8 बाघ और 10 से अधिक तेंदुए।
2 - 125 पक्षियों की प्रजातियां।
3 - 100 से अधिक प्रकार की वनस्पति।
4 - कई प्रकार के सर्प यहां पाए जाते हैं।
5 - काला हिरण, चीतल, सांभर, नील गाय आदि भी बड़ी संख्या में मौजूद।