नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। जिले में मोबाइल टॉवरों के जरिए सरकारी चूना लगाया जा रहा है, वह न केवल गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है, बल्कि एक सुव्यवस्थित राजस्व प्रणाली की आवश्यकता को भी उजागर करता है। सतना जिले में स्थापित 250 से अधिक मोबाइल टॉवरों में से अधिकांश ऐसे हैं, जिनकी जमीनों का डायवर्सन आज तक नहीं कराया गया है, जबकि इन टॉवरों से हर महीने लाखों रुपये का किराया भू-स्वामी वसूल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जिले में बीएसएनएल समेत कई कंपनियों के मोबाइल टॉवर बड़ी संख्या में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगे हुए हैं। इन टॉवरों की स्थापना जिस जमीन पर की गई है, उन्हें बिना डायवर्सन के व्यवसायिक उपयोग में लाया जा रहा है। नियमानुसार, अगर किसी घरेलू या कृषि भूमि को व्यवसायिक उपयोग के लिए बदला जाता है, तो उसका डायवर्सन अनिवार्य होता है, लेकिन इस मामले को नजरंदाज किया जा रहा है जिससे सरकार को करोड़ों की क्षति हो रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक मोबाइल टावर से भू-स्वामी को हर महीने औसतन 15 से 25 हजार तक का किराया प्राप्त होता है। ऐसे में 250 से अधिक टावरों से करोड़ों की कमाई भू स्वामी करते हैं। इसके बावजूद इन जमीनों का डायवर्सन नहीं कराया गया है, जिससे सरकार को डायवर्सन शुल्क के रूप में करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। यदि इन सभी टॉवरों की जमीनों का डायवर्सन किया जाए और नियमानुसार शुल्क वसूला जाए, तो राज्य सरकार के खजाने में सैकड़ों करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है। सबसे हैरानी की बात यह है कि स्थानीय प्रशासन इस गंभीर मामले पर चुप्पी साधे हुए है।
सिर्फ भू-स्वामियों को दोषी ठहराना पर्याप्त नहीं होगा। मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियाँ भी इस व्यवस्था में बराबर की भागीदार हैं। वे भारी किराया देकर इन जमीनों का व्यवसायिक उपयोग कर रही हैं, लेकिन नियामकीय जिम्मेदारियों को निभाने से बच रही हैं। न तो वे यह सुनिश्चित करती हैं कि जिस जमीन पर टॉवर स्थापित किया जा रहा है, उसका डायवर्सन हुआ है या नहीं, और न ही प्रशासन से इस बारे में कोई अनुमति लेती हैं।शासन को चाहिए कि वह इस दिशा में ठोस नीति बनाकर प्रदेशभर में इस तरह के मामलों की समीक्षा करे और सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करे।
- इस संबंध में सभी पटवारियों को नोटिस जारी कर जानकारी मांगी है, इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राहुल सिलादिया, एसडीएम