
ASI Survey in Bhojshala: नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में मंगलवार को पांचवें दिन भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने सर्वे कार्य किया। इधर सर्वे कार्य होता रहा, दूसरी तरफ सनातनी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे। इस दौरान सर्वेक्षण कार्य की गोपनीयता बनाए रखने के लिए सर्वेक्षण स्थल को पर्दे और कनात से कवर कर दिया गया था।
सर्वे टीम, पक्षकारों के अलावा किसी को भी सर्वे स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई। टीम ने भोजशाला के पिछले भाग में सर्वे शुरू किया है। खोदाई में मिल रहे अवशेष साक्ष्य के रूप में सुरक्षित किए जा रहे हैं। सनातनियों ने अपने अनुभव व बुजुर्गों द्वारा बताई गई बातों के आधार पर वह स्थान भी सर्वे टीम को दिखाए हैं, जहां हिंदू प्रतीक चिह्न मिल सकते हैं।
बता दें कि दशकों से धार की भोजशाला का विवाद चल रहा है। हिंदू पक्ष इसे मां सरस्वती का मंदिर बताता है जबिक मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौलाना मस्जिद व दरगाह बताता रहा है। इसी विवाद से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी की तर्ज पर सर्वे कराने का निर्देश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिया था।
मंगलवार को पांचवें दिन सुबह 7:15 बजे टीम ने परिसर में प्रवेश किया। इसी के साथ याचिकाकर्ता आशीष गोयल, गोपाल शर्मा भी पहुंचे। वहीं मुस्लिम पक्ष से अब्दुल समद भी साथ थे। शाम पांच बजे टीम सर्वे पूर्ण कर बाहर निकली। बताया जा रहा है कि खोदाई के दौरान टीम को कुछ अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिनकी फोटोग्राफी के साथ ही फाइल में उनकी जानकारी दर्ज की गई।
सर्वे के दौरान पूजा-अर्चना करने वालों में खासा उत्साह देखा गया। महिलाएं जब बाहर निकलीं तो नृत्य कर एक-दूसरे को गुलाल लगाकर अपनी खुशी जाहिर की। बता दें कि मंगलवार को हिंदू समाज को पूजा की अनुमति दी गई है। लोग अक्षत और पुष्प लेकर भोजशाला में पूजा के लिए जाते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। जबकि मुस्लिम धर्मावलंबी शुक्रवार को परिसर में नमाज अता करते हैं।
इससे पूर्व चौथे दिन सोमवार को लगभग आठ घंटे टीम द्वारा भोजशाला के अंदर-बाहर सर्वे किया गया। भोजशाला के बाहर फिर खोदाई कार्य किया गया। वहीं अंदर मौजूद पत्थरों पर मौजूद कलाकृतियों को रिकार्ड किया गया। भोजशाला के बाहर कमाल मौलाना दरगाह परिसर तक मार्किंग की गई। 50 मीटर के दायरे में दरगाह व अन्य स्थल भी हैं।
