Bhojshala ASI Survey: नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर सर्वे कर रही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की टीम ने दूसरे दिन शनिवार को ऐतिहासिक भोजशाला के पिछले हिस्से में पाषाण धरोहर की संभावना तलाशने के क्रम में दो स्थानों पर उत्खनन शुरू किया। परिसर के दो अन्य स्थानों पर रविवार को भी उत्खनन किया जाएगा।
उत्खनन कार्य मशीनों के बजाय पुरातात्विक पद्धति से किया जा रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे सर्वे में कुछ समय लग सकता है। टीम ने भोजशाला की छत का भी निरीक्षण किया। इसकी गुंबद की वीडियोग्राफी की जाएगी, जिसकी वैज्ञानिक जांच की जाएगी। इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से याचिकाकर्ता आशीष गोयल व गोपाल शर्मा और मुस्लिम पक्ष की ओर से कमाल मौला वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य अब्दुल समद भी मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार सुबह सूर्योदय के साथ शुरू हुआ सर्वे करीब साढ़े पांच घंटे के बाद नमाज का समय होने से रोक दिया गया था। शनिवार सुबह आठ बजे टीम परिसर के अंदर पहुंची। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एडीजी डा. आलोक त्रिपाठी सहित डा. विक्रम भुवन और दल के अन्य सदस्य शामिल थे। टीम अपने साथ वैज्ञानिक जांच के लिए उपकरण भी ले गई थी। जीपीएस सिस्टम, कार्बन डेटिंग सिस्टम के माध्यम से सर्वे कार्य पूरा दिन जारी रहा।
टीम ने परिसर में मौजूद स्तंभों की गिनती करने के साथ उन पर उत्कीर्ण लिपि और चिह्न की भी वीडियोग्राफी की। टीम दोपहर के भोजन के लिए भी बाहर नहीं निकली। सदस्यों का खाना भीतर ही भेजा गया। बता दें कि भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।
हिंदू पक्ष के अनुसार एएसआइ टीम ने शनिवार को परिसर में तीन से चार स्थानों पर कार्बन डेटिंग के लिए भी कुछ स्थानों पर मार्किंग की है, जिसे कार्बन कोडिंग कहा जाता है। बता दें कि कार्बन डेटिंग की मदद से 50 हजार साल पुराने अवशेष का भी पता लगाया जा सकता है। पत्थर और चट्टानों की आयु भी इससे पता की जा सकती है। कार्बन डेटिंग के लिए चट्टान पर मुख्यत: कार्बन-14 का होना जरूरी है। अगर ये चट्टान पर न भी मिले तो इस पर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप के आधार पर इसकी आयु का पता लगाया जा सकता है।
सर्वे में शामिल होने पहुंचे मुस्लिम समाज के अब्दुल समद ने प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सर्वे के पूर्व रात एक बजे नोटिस देंगे तो सुबह छह बजे कैसे आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि मेरा स्वास्थ्य खराब था, मैं अस्पताल में भर्ती था। 2004 में जो स्तंभ रखे गए हैं, हमने उसकी आपत्ति ली है। इसके लिए पूर्व में हमने आवेदन भी दिया है। आज इस स्तंभ को सर्वे में शामिल भी किया जा रहा है, यह एक प्रश्न चिह्न है।
संवेदनशील मामला होने की वजह से पुलिस और प्रशासन ने भोजशाला परिसर सहित शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। परिसर में वरिष्ठ अधिकारियों सहित 200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं तो शहर में 20 से ज्यादा स्थानों पर जांच चौकियां बनाकर आने-जाने वालों पर नजर रखी जा रही है।