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धार (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद शुरू हुए धार की ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे में तीसरे दिन रविवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने दो नए स्थानों पर खोदाई शुरू की। अब परिसर में चार स्थानों पर खोदाई की जा रही है। एएसआइ की टीम इस बात की जानकारी ले रही है कि भोजशाला की नींव कितनी पुरानी है। नींव के आधार पर भोजशाला की प्राचीनता का पता लगाया जाएगा।
दो स्थानों पर करीब छह फीट तक की गहराई और अन्य दो स्थान पर करीब तीन-तीन फीट की गहराई में खोदाई हुई है। सोमवार को धुलेंडी (रंग पर्व) के दिन भी सर्वे जारी रहेगा। उधर, मुस्लिम पक्ष के प्रतिनिधि ने पहले दिन के सर्वे को रद्द करने की मांग की है।
रविवार सुबह आठ बजे टीम के 15 सदस्यों ने भोजशाला परिसर में प्रवेश किया। हिंदू पक्ष के आशीष गोयल व गोपाल शर्मा और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद टीम के साथ मौजूद रहे। तीसरे दिन के सर्वे के लिए भी टीम आधुनिक उपकरण अपने साथ ले गई थी। जीपीआर(ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) का उपयोग करते हुए कई महत्वपूर्ण तथ्यों का पता लगाने की कोशिश की गई। खोदाई के साथ ही छत और गुंबद का वैज्ञानिक सर्वे और वीडियोग्राफी भी टीम ने की है। सर्वे को छुट्टी के दिन में भी जारी रखा जा रहा है।
बता दें कि हिंदुओं के मुताबिक भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।

रविवार को करीब नौ घंटे तक सर्वे कार्य हुआ। इसमें मुख्य रूप से भोजशाला के स्तंभों की विशेष रूप से गणना की जा रही है। इन अंकित प्रतीक चिह्नों की सूक्ष्मता से फोटोग्राफी की जा रही है। इन स्तंभों की आकृति पर भी टीम के सदस्य विशेष ध्यान दे रहे हैं। स्तंभों की आकृति, आकार आदि से इसकी वास्तु शैली व काल का पता लगाया जाएगा। इससे भोजशाला की प्राचीनता को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।
जीपीआर के माध्यम से यह पता लगाया जा रहा है कि भोजशाला परिसर में क्या पाषाण धरोहर जमीन के भीतर भी दबी है। छह बाई छह के दो गड्ढे शनिवार से खोदे जा रहे हैं। इनमें अभी कुछ नहीं मिला है। हालांकि, इसमें निकल रहे छोटे व विशेष पत्थरों को भी जांच के लिए सुरक्षित किया जा रहा है। सर्वे की गोपनीयता के लिए विभागीय कर्मचारियों को ही भीतरी दायरे में रखा जा रहा है। आउटसोर्स के मजदूरों को खोदाई आदि में शामिल नहीं किया जाएगा।
भोजशाला की दीवार, खंभों आदि पर बने छोटे-छोटे चिह्नों और निशानों की स्पष्टता के लिए उन्हें विशेष केमिकल के माध्यम से साफ किया जा रहा है। अब तक करीब 75 चिह्नों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जा चुकी है।
मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान ने कहा कि 2003 के बाद जो भी चीजें की गई हैं, उन्हें सर्वे में शामिल नहीं किया जाए। भीतर तीन सर्वे टीम काम कर रही है, जबकि कमेटी की ओर से मैं अकेला हूं। हम चाहते हैं कि टीम एक समय में एक ही जगह सर्वे करे। इसी वजह से पहले दिन के सर्वे को रद करने की मांग करते हुए विभाग को मेल कर आपत्ति दर्ज करवाई है। उधर, हिंदू पक्ष के प्रतिनिधियों ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को निराधार और भ्रामक बताया है।