मनावर, धार। स्वतंत्रता दिवस के दिन नगर में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। 12वीं कक्षा में अध्ययनरत एक छात्रा ने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। घटना के बाद पूरे नगर में शोक और आक्रोश का माहौल है। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें छात्रा ने अपने विद्यालय की तीन शिक्षिकाओं को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है।
पुलिस द्वारा बरामद सुसाइड नोट में छात्रा ने स्पष्ट रूप से लिखा है— 'मैं ऐसे ही नहीं फांसी लगा रही हूं। मेरी फांसी लगाने की वजह मेरे स्कूल की तीन टीचर हैं। वे मुझे हमेशा मानसिक रूप से प्रताड़ित करती थीं। आज स्कूल में जो हुआ, उसके बाद मेरे सहने की सीमा खत्म हो चुकी है। इन तीन टीचरों सारिका ठाकुर, लक्ष्मी मंडलोई और आरती चौहान को सजा जरूर दिलाई जाए।' बताया जा रहा है कि छात्रा ने यह सुसाइड नोट घर की दीवार पर चिपकाया और फिर अपने कमरे में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
छात्रा की सहेलियों का कहना है कि तीनों शिक्षिकाएं अक्सर छोटी-छोटी बातों पर अपमानित करती थीं, सार्वजनिक रूप से डांटती थीं और कई बार अनुचित टिप्पणियां भी करती थीं। सहेलियों के अनुसार, इस तरह की मानसिक प्रताड़ना से उनकी सहेली लंबे समय से परेशान थी।
छात्रा के परिजनों का भी कहना है कि उसने कई बार घर आकर शिक्षिकाओं के व्यवहार की शिकायत की थी। कई मौकों पर यह बात विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं तक भी पहुंची, जिन्होंने विद्यालय प्रशासन से दोषी शिक्षिकाओं पर कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
पुलिस जांच के अनुसार, घटना के समय घर में छात्रा अकेली थी। उसके पिता बाजार गए हुए थे, बड़ी बहन नौकरी पर थी और मां राखी के अवसर पर मायके गई थीं। कुछ समय बाद जब घर के सदस्य लौटे तो उन्होंने छात्रा को फांसी पर लटकते देखा। तत्काल उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। शव को पीएम के लिए अस्पताल के शवगृह में रखा गया है।
इस घटना के बाद नगर में गहरा सदमा है। छात्रा के साथ पढ़ने वाले अन्य विद्यार्थी और उनके अभिभावक भी आक्रोशित हैं। कई सामाजिक संगठनों और छात्र संगठनों ने दोषी शिक्षिकाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि विद्यालय प्रशासन की चुप्पी ने मामले को और गंभीर बना दिया है। करीब एक घंटा रोड पर रखकर परिजनों व ने चक्का जाम भी किया।
पुलिस ने सुसाइड नोट को जब्त कर जांच शुरू कर दी है। वहीं, विद्यालय प्रशासन ने अब तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। सामाजिक चिंता यह मामला न केवल एक छात्रा की दुखद मौत है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में मानसिक उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दे पर सवाल भी खड़ा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने और काउंसलिंग की व्यवस्था आवश्यक है।