नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र यादव की खंडपीठ ने सुशील वर्मा बनाम मध्यप्रदेश औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम मामले में अपील स्वीकार करते हुए पूर्व में खारिज याचिका को मूल क्रमांक पर पुनः बहाल करने का निर्देश दिया। मामला वर्ष 2011 से लंबित था। जुलाई 2025 में याचिकाकर्ता के वकील की अनुपस्थिति के कारण याचिका खारिज कर दी गई थी।
पुनर्स्थापन का आवेदन भी 13 अगस्त 2025 को अस्वीकार कर दिया गया। अपील में कहा गया कि यह तकनीकी कारण से हुआ, न कि याचिकाकर्ता की अनिच्छा से। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट और अपने पूर्ववर्ती निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि वकील की भूल की सजा मुवक्किल को नहीं मिलनी चाहिए। इसी आधार पर याचिका बहाल कर दी गई।
न्यायमूर्ति ने सोशल ऑडिट का अभिनव सुझाव दिया और अपीलकर्ता के वकील को ग्वालियर स्थित माधव अंधाश्रम जाकर 10 हजार रुपये के खाद्य सामग्री के साथ एक घंटा बच्चों और निवासियों के साथ बिताने की सलाह दी गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह दंडात्मक नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भाव है। वकील प्रशांत शर्मा ने स्वेच्छा से इस सुझाव को स्वीकार किया और 15 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की सहमति दी।
पीड़ितों को जाएगा संदेश कि समाज उनके साथ न्यायालय ने कहा कि इस तरह के सोशल ऑडिट से न केवल संस्थाओं में रहने वाले बच्चों, बुजुर्गों और पीड़ितों को यह संदेश जाएगा कि समाज उनके साथ खड़ा है, बल्कि संस्थान संचालक भी जवाबदेह बने रहेंगे। अदालत ने राज्य सरकार, महिला एवं बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग को भी इस दिशा में ठोस पहल करने की सलाह दी। आदेश की प्रति राज्य सरकार और संबंधित विभागों को भी भेजी जाएगी। वकील द्वारा रिपोर्ट और शपथपत्र जमा करने पर याचिका बहाल होगी। न्यायालय ने पूर्व के आदेश (21 जुलाई और 13 अगस्त 2025) निरस्त कर दिए।
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