नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। डबरा ब्लॉक के करियावटी में रहने वाली 32 वर्षीय महिला को जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) की पुष्टि हुई है। यह जिले में इस बीमारी का दूसरा मामला है। महिला को तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टी की समस्या से पीड़ित होने पर हजार बिस्तर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार को जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डॉ. मनोज कौरव, महामारी विशेषज्ञ डॉ. महेन्द्र पिपरौलिया डाक्टरों की टीम के साथ गांव पहुंचे और परिजन की स्क्रीनिंग कराई। राहत की बात है कि परिजन को बुखार या अन्य बीमारी के लक्षण नहीं मिले। टीम को महिला की कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं मिली है। इससे पहले 23 जनवरी को सागरताल निवासी 15 साल की किशोरी को जेई की पुष्टि हुई थी।
जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डॉ. कौरव ने बताया कि महिला सीमा परिहार डेंगू से भी पीड़ित थीं। उनको इलाज के लिए दो सितंबर को भर्ती कराया गया था। 11 सिंतबर को डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके बाद जीआरएमसी लैब में सैंपल की जांच में 12 सितंबर को जेई की पुष्टि हुई। महिला स्वस्थ्य है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। महिला को तेज बुखार और उल्टी की शिकायत होने पर पहले नजदीकी डॉक्टर से इलाज कराया, लेकिन हालत सुधरने की बजाय बिगड़ने लगी तो परिजन महिला को इलाज के लिए जेएएच लेकर आए थे। पशु चिकित्सा विभाग को सर्वे करने के लिए पत्र लिखा गया है।
जापानी इंसेफेलाइटिस क्या है, ये कैसे फैलता है?
- जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेई) गंभीर वायरल जूनोटिक रोग है। यह वायरस मच्छरों से इंसानों तक पहुंचता है। प्रवासी पक्षी और सुअर इसके वाहक होते हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण क्या हैं?
- बुखार, सिरदर्द, थकान और उल्टी इसके मुख्य लक्षण हैं। यह बीमारी मस्तिष्क की सूजन, कोमा और लकवा तक बढ़ सकती है। कुछ मामलों में कोमा और लकवा भी हो सकता है।
संक्रमण का पता कितने दिन में चलता है?
- संक्रमित मच्छर के काटने के बाद लक्षण दिखने में 5 से 15 दिन का समय लगता है।
संक्रमण से बचने के लिए क्या करें?
- टीकाकरण प्रभावी उपाय है। मच्छरों से बचाव के लिए सावधानी बरतें और लक्षण पर डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉ. मनोज कौरव, जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी ने बताया...
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