अमित मिश्रा, नईदुनिया, ग्वालियर। भारतीय सेना में अग्निवीर सहित अन्य पदों पर भर्ती के दौरान शारीरिक प्रवीणता परीक्षा सिंथेटिक ट्रैक पर होगी। भर्ती परीक्षा में सेना ने यह बदलाव अभ्यर्थियों का प्रदर्शन सुधारने और उन्हें मिट्टी के मैदान पर मौसम के कारण होने वाली परेशानियों से बचाने के लिए किया है।
दरअसल, देश में अधिकांश जगह सेना द्वारा आयोजित कराई जाने वाली शारीरिक प्रवीणता परीक्षा वर्षा के मौसम में ही होती है। उस दौरान मैदान में कीचड़ हो जाता है। इस वजह से कई अभ्यर्थी असफल हो जाते थे। इसी के दृष्टिगत अब भारतीय सेना की पहली प्राथमिकता अभ्यर्थियों को सिंथेटिक ट्रैक पर दौड़ाने की है।
इससे पहले भारतीय सेना ने भर्ती प्रक्रिया में पिछले साल बड़ा बदलाव किया था। शारीरिक प्रवीणता परीक्षा से पहले लिखित परीक्षा प्रारंभ की थी, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। चयनित अभ्यर्थियों की संख्या दोगुना तक बढ़ गई।
अब शारीरिक प्रवीणता परीक्षा में प्रदर्शन सुधारने के लिए यह कवायद की है। हाल ही में ग्वालियर में भारतीय सेना ने सिंथेटिक ट्रैक की मांग की। इसमें एलएलआइपीई और दिव्यांग खेल स्टेडियम का प्रस्ताव भेजा गया। दिव्यांग खेल स्टेडियम के लिए अनुमति मिलना बाकी है।
मौसम बेअसर
सिंथेटिक ट्रैक ऐसे मटेरियल से बनाया जाता है जिस पर तेज बारिश भी हो तो ड्रेनेज सिस्टम की वजह से पूरा पानी तुरंत मैदान से साफ हो जाता है। तेज गर्मी हो या सर्दी, न तो ट्रैक अधिक गर्म होता है न ठंडा। जबकि मिट्टी का मैदान बारिश में सबसे ज्यादा खराब हो जाता है।
प्रदर्शन सुधरता है
अक्सर अभ्यर्थियों की शिकायत रहती थी कि मैदान पर कंकड़ थे। कीचड़ होने से भी परेशानी होती थी और वह असफल हो जाते थे। सिंथेटिक ट्रैक पर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन सुधरता है। उन्होंने चाहें गांव में प्रैक्टिस की हो या सामान्य मैदान पर। सिंथेटिक ट्रैक पर कोई समस्या नहीं आती।
चोट नहीं
मैदान पर दौड़ते समय कई बार अभ्यर्थियों को चोट लग जाती है, क्योंकि मैदान पूरी तरह समतल नहीं होता। सिंथेटिक ट्रैक समतल रहता है, यहां चोट नहीं लगती।
अब अभ्यर्थियों को सिंथेटिक ट्रैक पर ही दौड़ाने की प्राथमिकता है, क्योंकि इससे उनके प्रदर्शन में सुधार होता है, अभ्यर्थी नंगे पैर भी दौड़ सकते हैं। चोटिल नहीं होते। - कर्नल संजय कुमार, डायरेक्टर, सेना भर्ती कार्यालय, ग्वालियर