नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: मध्य-प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) की ग्वालियर खंडपीठ की एकलपीठ ने अमूल कंपनी (गुजरात को-आपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) के खिलाफ चल रही खाद्य सुरक्षा से जुड़ी कार्रवाई को समाप्त कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई अन्य व्यक्ति या संस्था अमूल के नाम और लोगो का अनुचित उपयोग करते हुए नकली या मिलावटी उत्पाद बेचती है, तो इसके लिए मूल निर्माता कंपनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
मामला वर्ष 2009 का है, जब ग्वालियर के ट्रांसपोर्ट नगर क्षेत्र में पकड़े गए ट्रक में अमूल, स्नेह गोपाल और कृष्णा ब्रांड के घी के डिब्बे भरे थे। चालक कोई बिल या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। नमूने की जांच के बाद घी मिलावटी पाया गया। इसके बाद खाद्य विभाग ने अमूल समेत अन्य ब्रांड्स के खिलाफ मिलावट का मामला दर्ज किया था। 2010 में मजिस्ट्रेट न्यायालय ने अमूल के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी।
अमूल की ओर से अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि जब्त किया गया घी कंपनी का निर्मित नहीं था, बल्कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने अमूल का नाम और लोगो गलत तरीके से इस्तेमाल किया था। अमूल का उस ट्रक, माल या किसी स्थानीय वितरक से कोई संबंध नहीं था। अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ तभी आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है, जब यह साबित हो कि वह स्वयं उस वस्तु के निर्माण, भंडारण या विक्रय से जुड़ी हुई है। इन तर्कों के आधार पर हाई कोर्ट ने अमूल के खिलाफ जारी कार्रवाई को रद कर दिया।
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