
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: फर्जी जाति प्रमाण-पत्र और नकली अंकसूची के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वाले अधिकारी-कर्मचारी अपने-अपने विभागों की मेहरबानी का लाभ उठा रहे हैं। एसटीएफ द्वारा इन कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज किए जाने के बावजूद संबंधित विभागों ने अब तक न कोई नोटिस जारी किया और न ही कोई विभागीय कार्रवाई शुरू की। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि भले ही एफआईआर दर्ज हुई है, लेकिन जब तक अपराध सिद्ध नहीं होता या चालान पेश नहीं किया जाता, तब तक कार्रवाई का आधार नहीं बनता।
गौरतलब है कि एसटीएफ अब तक तीन FIR दर्ज कर चुकी है, जिनमें फर्जी जाति प्रमाण-पत्र और डी.एड की नकली अंकसूची से नौकरी पाने के मामले शामिल हैं। अगस्त में एसटीएफ ने 25 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ FIR की थी, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण-पत्र लगाकर खुद को आदिवासी बताते हुए नौकरी हासिल की थी। इसके बाद डी.एड की फर्जी अंकसूची पर सरकारी शिक्षक बनने वाले लोगों पर FIR दर्ज की गई, जिसमें आठ लोग नामजद थे जबकि 26 अज्ञात के रूप में शामिल थे। इनके दस्तावेज़ों की जांच अभी भी जारी है।
हालांकि FIR हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन जिन विभागों में ये कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्होंने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। न तो पूछताछ की गई और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई शुरू हुई।
सबसे अधिक मामले शिक्षा विभाग, जीआरएमसी के डॉक्टरों और कुछ पुलिसकर्मियों से जुड़े हैं। ग्वालियर में पदस्थ शिक्षक बाबूलाल राव, सुनीता राव, सीताराम केवट, जवाहर केवट, सरला मांझी, कुसुम मांझी और राजेश केवट पर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के माध्यम से नौकरी पाने के आरोप हैं। वहीं डी.एड की फर्जी अंकसूची से नौकरी हासिल करने वालों में गंधर्व सिंह, साहब कुशवाह, बृजेश रोरिया, लोकेंद्र कुशवाह, रविंद सिंह और अर्जुन सिंह शामिल हैं।
इसके अलावा जीआरएमसी के डा. दिनेश मांझी, डा. सीमा बाथम, डा. रजनीश मांझी, डा. विनोद बाथम तथा आयुर्वेदिक कॉलेज की डा. रेखा बाथम पर भी फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी लेने के आरोप हैं। दोनों ही विभागों ने अब तक इन कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। विभागों का कहना है कि एसटीएफ ने केवल रिकॉर्ड मांगा था, लेकिन इसके बाद कोई जानकारी साझा नहीं की गई है।
इस मामले में अभी कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है। कोई शिकायत आएगी तो संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- डा.मनीष चतुर्वेदी, प्रवक्ता, जीआरएमसी
शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की है। ऐसी अधिकृत जानकारी नहीं आई है। जो रिकार्ड मांगा था, वह उपलब्ध करा दिया गया है। इसलिए अभी कोई कार्रवाई नहीं की है।
- हरिओम चतुर्वेदी, जिला शिक्षा अधिकारी