नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। ग्वालियर से भिंड होते हुए इटावा तक 114 किमी लंबे रेल ट्रैक के दोहरीकरण के सर्वे का काम पूरा हो चुका है। लगभग डेढ़ साल तक चले सर्वे के बाद अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराई जा रही है। डीपीआर तैयार होने के बाद इसे रेलवे बोर्ड में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वर्तमान में ग्वालियर से पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के लिए जाने वाली ट्रेनों को झांसी होकर संचालित किया जाता है।
झांसी में ट्रेन का इंजन बदलना पड़ता है, जिसके कारण गाड़ियां लेट होती हैं। वर्तमान रूट पर सिंगल ट्रैक होने के कारण आमने-सामने से ट्रेनें आने पर दिक्कत होती है। अब दोहरीकरण का प्रोजेक्ट स्वीकृत होने और काम शुरू होने से इस रूट पर ट्रेनें बढ़ सकेंगी। इसके अलावा इटावा से कानपुर आदि रूट के लिए यात्रियों को कम समय लगेगा। ग्वालियर से इटावा के बीच अभी सिंगल लाइन है। इस पर ही अप और डाउन ट्रेनों का आवागमन होता है।
ऐसे में यदि दोनों ओर से ट्रेन एक साथ आ जाती हैं, तो एक गाड़ी को आउटर में या किसी स्टेशन पर रोका जाता है, तब दूसरी गाड़ी की क्रासिंग हो पाती है। इससे यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा ट्रेन को भिंड से ग्वालियर के बीच की दूरी तय करने में ही दो घंटे से अधिक का समय लग रहा है। ग्वालियर से भिंड-इटावा होते हुए गुवाहाटी, अहमदाबाद तक ट्रेन चलाने की मांग भी समय-समय पर जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई है।
इसके अलावा भिंड से दिल्ली, अहमदाबाद और भोपाल के लिए ट्रेन चलाए जाने की मांग लंबे समय से चल रही है। ऐसे में इस लाइन का दोहरीकरण होने से एक तरफ जहां ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। वहीं ट्रेनों को क्रॉस करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
ग्वालियर-भिंड-इटावा रेलवे लाइन के दोहरीकरण को लेकर रेलवे द्वारा सर्वे की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। जल्द ही इलेक्ट्रिक लाइन के लिए डीपीआर तैयार होगी। ग्वालियर के बिरला नगर से उत्तर प्रदेश के इटावा तक 114 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर छह ओवर ब्रिज और 18 अंडर ब्रिज का निर्माण कराए जाने के लिए स्थान चिह्नित किए गए हैं। सर्वे के दौरान लाइन पर निरीक्षण में उन स्थानों को देखा गया, जहां ओवर व अंडर ब्रिज बनाए जाने की आवश्यकता है। इसके बाद डीपीआर व आगे की प्रक्रिया चलेगी।
वर्तमान रेलवे ट्रैक का काम 13 वर्षों में जाकर पूरा हो पाया था। वर्ष 2002 में परियोजना स्वीकृत हुई थी और वर्ष 2003 में काम शुरू हो पाया था। इसके बाद वर्ष 2016 से भिंड रूट पर ब्रॉडगेज ट्रेन का संचालन शुरू हुआ था। अब ट्रैक दोहरीकरण के प्रोजेक्ट में वर्तमान ट्रैक से सात मीटर दूरी छोड़कर दूसरा ट्रैक बिछाया जाएगा। इसका कारण है कि पुराने ट्रैक पर बने पुल-पुलियों को नए स्ट्रक्चर से नुकसान ना हो, इसके लिए ये दूरी रखी जानी जरूरी है। इसके अलावा दोहरीकरण के प्रोजेक्ट में चौड़ीकरण भी देखा जाएगा, ऐसे में टुकड़ों में भू-अर्जन की कार्रवाई भी की जाएगी।
रेलवे लगातार यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यही कारण है कि भिंड-इटावा रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण की तैयारी की गई है। इसके सर्वे का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जल्द ही इसकी डीपीआर भी तैयार हो जाएगी। - मनोज कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, रेल मंडल झांसी
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