नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मानसून की अभी विदाई नहीं हुई है और अभी वर्षा की उम्मीद भी है। लेकिन शहर व अंचल में 6 सितंबर से पानी बरसा भी नहीं है। ऐसे में तेज धूप निकल रही है और तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बीच में वर्षा नहीं हुई और इसी तरह का मौसम रहा तो आगामी महीने से शुरू होने वाली रबी की फसल की बुवाई के लिए मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि तेज धूप व बढ़ते हुए तापमान की वजह से जमीन की नमी तेजी से गायब हो रही है और बुवाई के बाद भी तापमान इसी तरह रहा तो फसल उगने के बाद उसके झुलसने का खतरा पैदा हो जाएगा।
यहां बता दें कि अंचल में रबी की बुवाई का काम अक्टूबर माह के पहले सप्ताह से शुरू हो जाता है। अंचल में रबी की फसलों में प्रमुख रूप से सरसों, अरहर व गेहूं की बुवाई होती है। हालांकि गेहूं की फसल के लिए इसलिए परेशानी नहीं है क्योंकि इसकी बुवाई नवंबर से लेकर दिसंबर महीने तक होती है तब तक ठंड का मौसम आ जाता है। लेकिन गर्म मौसम की वजह से सरसों व अरहर की बुवाई के लिए अधिक समस्या होती है।
सरसों की बुवाई व उगने के बाद इसके पौधों के लिए 28 से 30 डिग्री का तापमान होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में ग्वालियर अंचल में तापमान 37 डिग्री तक पहुंच गया है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक यदि ऐसा ही मौसम रहा तो आगामी दिनों में तापमान में दो से तीन डिग्री की बढ़ोतरी और हो सकती है। ऐसे में किसानों को सरसों के लिए खेत तैयार करने में भी परेशानी आएगी और बुवाई में भी। खेतों में नमी रखने के लिए किसानों को सिंचाई करनी पड़ सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक बुवाई से पहले खेतों को तैयार करने के दौरान तापमान अधिक है तो किसान सिंचाई कर लेता है। जिससे खेतों में नमी रहती है और बुवाई हो जाती है। लेकिन जब सरसों उपजती है तो उसके पौधे छोटे होते हैं और वे तेज धूप और अधिक तापमान नहीं झेल पाते। ऐसे में सरसों के पौधे झुलस जाते हैं। इसका असर सीधे-सीधे सरसों की पैदावार पर पड़ता है।
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कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर के वरिष्ठ वैज्ञानिक शैलेंद्र सिंह कुशवाह का कहना है कि अभी जैसा मौसम है और आगामी दिनों में भी ऐसा रहा और तापमान बढ़ता रहा तो खेतों की नमी कम हो जाएगी। ऐसे में किसानों को सरसों की बुवाई के पहले खेतों की सिंचाई करनी पड़ेगी और इसके बाद बुवाई। सरसों के उपजने व पौधों के बढ़ने के लिए 28 से 30 डिसे का ताममान होना चाहिए। इस तापमान में यदि दो से तीन डिसे की बढ़ोतरी होती है तो सरसों के पौधे बचे रहते हैं लेकिन इससे अधिक तापमान होने पर पौधों पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में किसानों को पौधों को बचाने के लिए बार-बार सिंचाई करनी होगी।