नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। नई तकनीकों के प्रति युवाओं का रुझान लगातार बढ़ रहा है और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) युवाओं के करियर विकल्पों में सबसे ऊपर पहुंच गया है। इंजीनियरिंग, कृषि, चिकित्सा, रक्षा, शिक्षा और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में AI की बढ़ती उपयोगिता ने छात्रों को इस दिशा में सोचने के लिए मजबूर किया है। आटोनोमस कॉलेजों जैसे एमएलबी और केआरजी में शुरू किए गए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा 'फिनटेक विद फाइनेंशियल टेक्नोलाजी" के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू में छात्रों को आकर्षित नहीं कर सके थे।
लेकिन हाल ही में AI को लेकर छात्रों में बढ़ती जागरूकता और रुचि के चलते इन पाठ्यक्रमों में अब दाखिले की मांग बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में AI केवल तकनीकी फील्ड तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हर क्षेत्र की रीढ़ बन जाएगा। AI की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्वविद्यालयों के साथ-साथ ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म पर भी AI कोर्सेज की डिमांड कई गुना बढ़ गई है। छात्र आज न केवल बीटेक (AI, ML), एआइ रोबोटिक्स, एआइ डेटा साइंस जैसे नियमित डिग्री कोर्स चुन रहे हैं, बल्कि वे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और माइक्रो-स्पेशियलाइजेशन जैसे शार्ट टर्म कोर्सेज में भी रुचि दिखा रहे हैं।
स्कूल स्तर पर भी एआइ की पढ़ाई शुरू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के बाद सीबीएसई और राज्य बोर्डों के कई स्कूलों में एआइ को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया गया है। इससे छात्रों में शुरुआती स्तर से ही तकनीकी समझ विकसित हो रही है, जिससे भविष्य में उन्हें उच्च शिक्षा और शोध में बेहतर आधार मिलेगा।
कृषि: फसल की निगरानी, मिट्टी की गुणवत्ता विश्लेषण, मौसम पूर्वानुमान
चिकित्सा: रोगों की पहचान, रोबोटिक सर्जरी, हेल्थ डेटा एनालिसिस
शिक्षा: पर्सनलाइज्ड लर्निंग, स्मार्ट क्लासरूम, वर्चुअल टीचिंग
ई-कामर्स: ग्राहक व्यवहार विश्लेषण, चैटबाट, सर्च इंजन आप्टिमाइजेशन साइबर
सुरक्षा: डेटा सुरक्षा, फ्राड डिटेक्शन, नेटवर्क निगरानी विशेषज्ञों की राय छात्रों का रुझान तेजी से AI की ओर बढ़ा है।
विशेषज्ञ प्रो. मनीष दीक्षित ने कहा कि यही कारण है कि AI से संबंधित ब्रांचेज की सीटें अब फुल होने लगी हैं। जो छात्र आज इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, वे कल के इनोवेटर और टेक लीडर बनेंगे। यह न केवल तकनीकी विकास को गति देगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
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जीआरएमसी बायोमेडिकल इंजीनियर कमल शर्मा का कहना है कि रोगों की पहचान में एआइ की भूमिका अहम एआइ की मदद से एक्स-रे, एमआरआइ और सीटी स्कैन जैसे मेडिकल इमेजिंग टूल्स को तेजी और सटीकता से विश्लेषित किया जा सकता है। इससे डॉक्टरों को कम समय में सही निर्णय लेने में सहायता मिलती है। बायोमेडिकल क्षेत्र में AI रोगियों के पुराने मेडिकल रिकार्ड, जेनेटिक डाटा और लाइफस्टाइल पैटर्न के आधार पर उन्हें पर्सनलाइज्ड इलाज उपलब्ध कराने में सक्षम है।