
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: शहर के सिटी सेंटर साइट नंबर-एक स्थित आकाशदीप अपार्टमेंट के सामने रहने वालीं 61 वर्षीय अनीता शर्मा पत्नी स्व. डॉ. सीडी शर्मा की लाश घर में ही पड़ी मिली है। पति ग्वालियर में सीएमएचओ रहे हैं, कुछ साल पहले उनका निधन हो चुका है।
जानकारी के अनुसार, वृद्धा के शरीर पर कपड़े नहीं थे, शव बाथरूम के पास पड़ा था। पास ही में रखी एक बाल्टी में कपड़े रखे थे। नाक-मुंह से खून भी निकल रहा था। शव से दुर्गंध आ रही थी। आशंका है- वह नहाकर बाहर निकल रही थीं, इसी दौरान यह हादसा हुआ।
पति का निधन होने के बाद अनीता के घर में अकेली रहती थीं। बेटा अनीश पुणे में रहता है और बेटी निधि बेंगलुरु में नौकरी करती है। घर के पास ही रहने वाले महेंद्र की नजर उनके घर पर पड़ी। करीब पांच दिन से घर का दरवाजा ही नहीं खुला था। काम करने वाली बाई रोज आती थी, लेकिन वह लौट जाती थी।
जब बाई ने उनसे पूछा तो उन्होंने घर के बाहर पहुंचकर आवाज लगाई। अंदर से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद उनके भाई को सूचना दी। भाई और बेटे का ससुराल पक्ष यहां पहुंचा। फिर पुलिस को बुलाया गया। जब अंदर पहुंचे तो घर की पहली मंजिल पर बाथरूम के पास ही शव पड़ा था। आशंका है- मौत हुए चार से पांच दिन हो गए, क्योंकि शव से दुर्गंध आ रही थी।
जब पुलिस यहां पहुंची तो पहले तो दरवाजा तोड़ने का प्रयास किया गया, लेकिन दरवाजे काफी मजबूत थे। फिर कटर मंगवाया गया। कटर से दरवाजे, अंदर ताले काटे। इसके बाद अंदर दाखिल हो सके। ऊपर पहुंचे तो यहां कमरा अंदर से बंद था। यहां भी दरवाजा काटना पड़ा। यहां कमरे में बाथरूम के पास ही शव पड़ा हुआ था।
यह भी पढ़ें- Bhopal News: 7वीं कक्षा के छात्र और 8वीं कक्षा की छात्रा ने अलग-अलग लगाई फांसी, कारणों का नहीं चला पता
टीआइ रविंद्र जाटव ने बताया कि न तो इनके बेटे ने न ही बेटी ने कॉल किया। पांच दिन से कोई संपर्क नहीं किया। पड़ोसी ने सूचना दी। अगर पड़ोसी नजरअंदाज कर देते तो यह पता ही नहीं लगता। पुलिस को स्वजन ने बताया कि अनीता को अकेले रहना पसंद था। भाई कई बार बाहर से ही लौट जाते थे। दरवाजा नहीं खुलता था। बेटी साथ ले गई थी तो लौट आई थीं, बेटे ने किरायेदार रख दिया था लेकिन उसे निकाल दिया।
पहले भी शहर में ऐसी घटना हुई है, इसलिए बच्चे माता-पिता को बुढ़ापे में अकेला न छोड़ें। पुलिस भी निगरानी में असफल् रही। काफी समय पहले बीट वार पुलिसकर्मियों को ऐसे बुजुर्गों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए थे, जो अकेले रहते हैं। यह अपराधियों का भी साफ्ट टारगेट रहते हैं। अधिकारी बदले तो यह व्यवस्था भी कागजी हो गई।