Gwalior cold news: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश में लगातार पांचवें दिन ग्वालियर सबसे ठंडा शहर रहा। गत 31 दिसंबर के बाद से गुरुवार को भी लगातार पांचवें दिन कोल्ड डे के रूप में दर्ज किया गया, क्योंकि पिछले पांच दिनों से अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम दर्ज हो रहा है। पहाड़ी इलाकों से आ रहीं बर्फीली तेज हवाएं दिनभर सिहरन और कंपकंपाहट का अहसास करा रही हैं, जबकि बादल व कोहरे की चादर सूरज की धूप को रोके हुए हैं। लोग गर्म कपड़ों से लदे हुए नजर आ रहे हैं, जबकि खुले में अलाव से ही राहत मिल पा रही है। मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को भी शहर कोहरे की चादर में लिपटा रहेगा। शनिवार से आसमान साफ होना शुरू होगा।
ठंडक के मामले में इन दिनों ग्वालियर का मौसम शिमला का मुकाबला करता दिख रहा है। पिछले पांच दिन से शहर में धूप के दर्शन नहीं हुए। गुरुवार को भी आसमान में कोहरा छाया रहा और दृश्यता सिर्फ 400 मीटर की रही। कोहरे के साथ ही आसमान में बादलों ने भी डेरा डाल रखा है। चिल्ला जाड़े का प्रकोप झेल रहे लोग इन दिनों धूप के लिए तरस रहे हैं। स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार बुधवार की तुलना में गुरुवार को अधिकतम तापमान 0.1 डिग्री सेल्सियस की मामूली वृद्धि के साथ 14.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह औसत से 7.2 डिग्री सेल्सियस कम है। वहीं न्यूनतम तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ 10.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को भी शहर में घना कोहरा छाया रहेगा। इसके बाद शनिवार-रविवार को कोहरे से राहत मिलने की संभावना है, लेकिन सोमवार से मौसम एक बार फिर विपरीत हो सकता है क्योंकि सोमवार को हिमालय में एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है। इसके प्रभाव से आठ व नौ जनवरी को बादल छाए रहने के साथ ग्वालियर-चंबल संभाग में कहीं-कहीं बारिश भी हो सकती है।
उधर कोहरा छाने और सर्दी से बचाव के लिए जगह-जगह अलाव जलने के कारण एक बार फिर शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) ‘बहुत खराब’ के स्तर पर पहुंच गया है। हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 300 से अधिक पहुंच रही है। गुरुवार को दीनदयाल नगर स्थित प्रदूषण मापक स्टेशन पर एक्यूआइ 355 दर्ज किया गया। फूलबाग पर यह 299 यानी खराब स्तर पर दर्ज किया गया। सबसे ज्यादा खराब हवा सिटी सेंटर इलाके में रही जहां का एक्यूआइ 372 रहा, तो वहीं महाराज बाड़ा पर यह 336 दर्ज किया गया। जानकारों के मुताबिक पीएम 2.5 मुख्य रूप से बारीक धूल और धुएं के कारण फैलता है, लेकिन सर्दी से बचाव के लिए अलाव ही इस समय बड़ा सहारा है।
ये रही पारे की चाल