
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। छिंदवाड़ा में कफ सीरप से मासूमों की मौत के बाद प्रदेशभर में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर मचे बवाल के बीच एक बार फिर जिला अस्पताल मुरार में दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में मेट्रोनिडाजोल इंजेक्शन आइपी और आरएल ड्रिप लगाने के बाद करीब सात मरीजों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। मरीजों को तेज बुखार, घबराहट और शरीर में जकड़न की शिकायत हुई, जिससे वार्ड में हड़कंप मच गया।
शुक्रवार सुबह रोज की तरह मरीजों को मेट्रोनिडाजोल इंजेक्शन चढ़ाए जा रहे थे। इसी दौरान चार मरीजों को बेचैनी, ठंड लगना और हाथों में जकड़न महसूस होने लगी। नर्सिंग स्टाफ ने तुरंत ड्रिप बंद की, मरीजों को इंजेक्शन देकर प्राथमिक उपचार किया और वरिष्ठ चिकित्सकों को जानकारी दी। जानकारी मिलते ही आरएमओ जेपीएन शर्मा सहित डाक्टरों की टीम मौके पर पहुंची और मरीजों की निगरानी शुरू की। एक मरीज की स्थिति गंभीर होने पर उसे आइसीयू में भर्ती करना पड़ा।
जानकारी के अनुसार गुरुवार को भी तीन मरीजों में इसी तरह के रिएक्शन के लक्षण दिखाई दिए थे। हालांकि तत्काल उपचार के बाद उनकी स्थिति स्थिर हो गई थी, लेकिन शुक्रवार को फिर से नए मरीजों में लक्षण दिखने पर दवा की गुणवत्ता पर संदेह गहराया है। जिन मरीजों को रिएक्शन हुआ, उन्हें एक ही बैच नंबर के इंजेक्शन लगाए गए थे।
वार्ड में भर्ती मरीजों की तबीयत बिगड़ते ही अन्य मरीजों और उनके स्वजन में घबराहट का माहौल बन गया। 22 वर्षीय रामसेवक, जो पेट दर्द और बुखार की शिकायत पर भर्ती था, ने बताया जैसे ही नर्स ने ड्रिप लगाई, अचानक घबराहट और तेज बुखार आने लगा। स्टाफ को बताया तो उन्होंने तुरंत ड्रिप हटाई और इंजेक्शन दिया। कुछ देर बाद स्थिति सुधरी।
मरीजों को रिएक्शन की शिकायत मिली थी। कुछ मरीजों में इस तरह की शिकायत आती है। जिन मरीजों को इस तरह की शिकायत हुई उनकी निगरानी कर उपचार किया गया। वह स्वस्थ हैं।
जेपीएन शर्मा, आरएमओ, जिला अस्पताल।