नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। ग्वालियर में हवा की गुणवत्ता पर खतरे की घंटी बज रही है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट में भले ही एक्यूआई में सुधार दिख रहा हो और वर्तमान में वर्षा की वजह से वायु गुणवत्ता सूचकांक का आकंड़ा संतोषजनक हो, लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा चिंताजनक है। शहर में 12 लाख से अधिक वाहन दौड़ रहे हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इस साल अब तक सिर्फ 26,260 वाहनों ने ही प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र लिया है।
यह डाटा तो एक जनवरी से जुलाई 2025 के बीच कुल प्रमाण पत्र लेने वाले वाहनों का है। जबकि औसतन 38 सौ वाहन ही हर महीने नियंत्रित प्रदूषण का प्रमाण पत्र ले रहे हैं। जबकि नियम के मुताबिक हर छह महीने में जांच जरूरी है। 15 से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र होने के बावजूद अधिकांश वाहन मालिक जांच कराने से बचते हैं। पर्यावरणविदों के मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण दे रहे हैं कि अगर यह रवैया नहीं बदला, तो वर्षा खत्म होते ही ग्वालियर का एक्यूआई फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है, और शहर की हवा सांस लेने लायक नहीं बचेगी।
जेयू की पर्यावरणविद डॉ. निमिषा जादौन का कहना है कि अभी बारिश की वजह से हवा में धूल के कण (पीएम10) और सूक्ष्म कण (पीएम2.5) का स्तर नीचे है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में ठंड शुरू होते ही यह तेजी से बढ़ेगा। साथ ही, वाहन प्रदूषण का असर भी स्पष्ट नजर आएगा। समय रहते प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन न हुआ तो शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर को पार कर जाएगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल वाहनों में नियमित जांच से इंजन की ट्यूनिंग सही होती है, ईंधन की खपत कम होती है और धुएं में कार्बन मोनोआक्साइड तथा अन्य हानिकारक गैसों की मात्रा घटती है। शहर में परिवहन विभाग के अलावा प्रदूषण जांच का काम पुलिस के पास भी रहता है, न तो परिवहन विभाग इस बात कीजांच करता है और न ही पुलिस।
- 1266217 वाहन है ग्वालियर जिले में
- 15 प्रदूषण जांच केंद्र हैं जिले में
- 26260 वाहनों ने ही लिया है नियंत्रित प्रदूषण का प्रमाण पत्र
ट्रैफिक पुलिस के पास प्रदूषण की जांच करने के लिए संसाधन नहीं रहते। पुलिस तो केवल पीयूसी प्रमाण पत्र ही देखती है। जिनके पास नहीं होता है उनका चालान करते हैं और नियमानुसार जुर्माना वसूल करते हैं। - अजीत सिंह चौहान, डीएसपी ट्रैफिक, ग्वालियर - परिहवन विभाग
समय समय पर वाहनों को चेक करने का अभियान चलाता है। जिसमें प्रदूषण के साथ साथ वाहन की फिटनेश आदि की जांच की जाती है और कार्रवाई भी करते हैं। पीयूसी प्रमाण पत्र तो एक साल से अधिक पुराने सभी वाहनों पर होना चाहिए। - विक्रमजीत सिंह कंग, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, ग्वालियर
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