नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नरेंद्र शर्मा द्वारा दायर याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति मिलिंद रमेश फड़के की एकलपीठ ने थाना उटीला, जिला ग्वालियर में दर्ज अपराध क्रमांक 126/2024 के तहत दर्ज एफआइआर और उससे संबंधित सभी न्यायिक कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता नरेंद्र शर्मा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष साक्ष्य मौजूद नहीं है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ लेन-देन के विवाद से आत्महत्या के लिए उकसावे का अपराध नहीं बनता। जानकारी के अनुसार, यह मामला अशोक पाठक की आत्महत्या से जुड़ा था, जिनका शव छह अक्टूबर 2024 को उटीला में एक नीम के पेड़ से लटका मिला था। बाद में प्रस्तुत आत्महत्या नोट में कई व्यक्तियों के नाम दर्ज किए गए थे, जिनमें याचिकाकर्ता नरेंद्र शर्मा का भी उल्लेख था। मृतक ने लिखा था कि नरेंद्र शर्मा ने उससे तीन लाख रुपये लिए और वापस नहीं किए।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि आत्महत्या नोट में केवल बकाया धनराशि का जिक्र है, जबकि कहीं भी प्रताड़ना, उकसावे या आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का उल्लेख नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि केवल आर्थिक विवाद आत्महत्या के लिए उकसावे के दायरे में नहीं आता। राज्य की ओर से अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया और कहा कि आत्महत्या नोट में नामित व्यक्ति जिम्मेदार ठहराए गए हैं।
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