नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में युगल पीठ ने चार साल से विवादों में उलझे एक दंपती को फिर से मिला दिया है। न्यायालय के निर्देश पर 30 दिन साथ रहने के बाद दोनों ने आपसी मतभेद सुलझा लिए और अब उन्होंने तलाक नहीं लेने का फैसला किया है।
दंपती ने एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने और पत्नी द्वारा पति को दी गई भरण-पोषण राशि लौटाने पर भी सहमति जताई है। पीठ ने कहा कि जब पति-पत्नी आपसी सहमति से साथ रहना चाहते हैं, तो न्यायालय का उद्देश्य भी पारिवारिक जीवन में शांति, स्थायित्व और समरसता स्थापित करना है।
भिंड निवासी राहुल और श्वेता (परिवर्तित नाम) के बीच जरा-जरा सी बातों पर विवाद शुरू हुआ था, जिसके चलते दोनों 2022 से अलग रह रहे थे। वर्ष 2023 में भिंड कुटुंब न्यायालय में तलाक का आवेदन खारिज कर दिया था, लेकिन इसके बाद राहुल ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत हाईकोर्ट में दोबारा तलाक की याचिका दायर की।
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सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने दंपती को 30 दिन साथ रहने का निर्देश दिया, ताकि वे आपसी मतभेद सुलझा सकें। एक माह बाद दोनों दोबारा कोर्ट में उपस्थित हुए और बताया कि वे अब साथ रहना चाहते हैं। पत्नी ने कुछ मामूली शिकायतें रखीं, जिन पर न्यायालय ने कहा कि वैवाहिक जीवन में ऐसे मुद्दे समझदारी और सहनशीलता से सुलझाए जा सकते हैं।अदालत ने शासकीय अधिवक्ता अंजलि ग्यानानी को मामले में ‘शौर्या दीदी’ नियुक्त किया है। वे अगले 6 माह तक पत्नी का मार्गदर्शन और सहयोग करती रहेंगी, ताकि दाम्पत्य जीवन में स्थायी शांति और विश्वास बना रहे।