
बलराम साेनी, ग्वालियर नईदुनिया। 57 साल से ग्वालियर नगर निगम पर एकछत्र राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार महापौर की सीट गंवा दी है। ये पार्टी के दामन पर कभी न मिट सकने वाला दाग है। हार के कारणों पर मंथन होगा, लेकिन महापौर उम्मीदवार सुमन शर्मा चुनाव कैसे हार गई, इसकी पहली और प्राथमिक जिम्मेदारी जिला अध्यक्ष होने के नाते कमल माखीजानी की है। हालांकि पार्टी का सिद्धांत है कि यहां व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा संगठन चुनाव लड़ता है। इसलिए जिम्मेदारी भी सामूहिक होती है। महापौर का चुनाव क्यों हारे, कहां और क्या कमियां रह गई। इन सभी मुद्दों पर भाजपा जिला अध्यक्ष ने नईदुनिया से विस्तार से चर्चा की। पढ़िए क्या कहते हैं कमल माखीजानी..
जानें क्या कहते हैं भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानीः
सवालः 57 साल बाद भाजपा महापौर का चुनाव हार गई। आपकी नजर में क्या कारण रहे।
जवाब: हार का सबसे बड़ा कारण मतदाता पर्चियां पूरी तरह से घर-घर न बंट पाना रहा। हमने जिला निर्वाचन अधिकारी से कहा था कि मतदाता पर्चियों के बांटने का काम बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर) से कराना चाहिए। हमें बताया गया कि यह काम नगर निगम के टीसी (कर संग्राहक) कर रहे हैं। बीएलओ को मतदान से 24 घंटे पहले लगाया गया। हालांकि हमने वार्ड प्रत्याशियों से भी पर्चियां बंटवाने का प्रयास किया था, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। पर्चियां न मिल पाने के कारण हमारी पार्टी का कोर वोटर घर से निकल ही नहीं पाया।
सवालः सरकार आपकी है। प्रशासन पर आपका नियंत्रण होना चाहिए। आपको भनक तक नहीं लगी। अब क्या कदम उठाने जा रहे हैं।
जवाब: हमने तत्काल निर्वाचन आयोग से भोपाल में शिकायत की। इसके बाद प्रशासन ने जांच कराई। यह रिपोर्ट भी जल्द आ जाएगी। हमने लापरवाह अफसरों की शिकायत मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से कर दी है। जल्द ही इस लापरवाही पर कार्रवाई भी होगी।
सवालः आपकी पार्टी न सिर्फ महापौर का चुनाव हारी बल्कि पार्षदों की संख्या 45 से घटकर 34 रह गई। क्या कारण रहे।
जवाब: पिछली परिषद में हमारे 41 पार्षद जीते थे। चार अन्य निर्दलीय हमारे साथ जुड़े थे। इससे हमारी संख्या 45 हो गई थी। इस बार भी तीन-चार सीटें बहुत ही कम मार्जिन से हारे हैं। इसका एक बड़ा कारण आम आदमी पार्टी का चुनाव मैदान में उतरना था। पिछली बार ये पार्टी नहीं थी।
सवालः नगर निगम क्षेत्र की चारों विधानसभा क्षेत्र में महापौर उम्मीदवार हारीं। क्या इन विस क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों ने काम नहीं किया।
जवाब: ऐसा कतई नहीं है। सभी ने मिलकर और पूरी ताकत से चुनाव लड़ा। अब किस विधानसभा क्षेत्र से महापौर को कितने वोट मिले। इसकी जानकारी संबंधित विधायक और मंत्री निकलवा रहे हैं। वे कल तक राष्ट्रपति चुनाव में व्यस्त थे। जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि महापौर उम्मीदवार को कहां कितने वोट मिले।
सवालः महापौर उम्मीदवार का कहना है कि प्रद्युम्न सिंह तोमर और भारत सिंह से पार्टी को पूछना चाहिए कि वे क्यों चुनाव हारीं। क्या पार्टी ने इस दिशा में कोई कदम उठाया है।
जवाब: उनका आशय यह नहीं है। वे जानना चाह रही है कि अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में उन्हें कितने वोट मिले हैं। ये जानकारी जुटाई जा रही है। इसके बाद पार्टी फोरम पर इसकी समीक्षा की जाएगी।
सवालः कांग्रेस ने सभापति की कुर्सी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। कुछ निर्दलीय पार्षदों को जोड़ा है। बहुमत में होते हुए भाजपा सभापति नहीं बना पाती है तो इससे बुरा कुछ नहीं होगा। आपकी क्या रणनीति है।
जवाब: सपने देखने में कोई टैक्स थोड़े ही लगता है। कांग्रेस खूब ख्याली पुलाव पकाए, सभापति भाजपा का ही बनेगा। जिन पार्षदों ने कांग्रेस से संपर्क किया है वो हमारे भी संपर्क में हैं। जहां तक क्रास वोटिंग की बात है तो भाजपा के पार्षद पार्टी के प्रति समर्पित हैं। कांग्रेस अपने पार्षद बचाकर रखे।
सवालः आपके जिला अध्यक्ष रहते हुए पार्टी ने महापौर चुनाव हारा। क्या आप इसकी जिम्मेदारी लेते हैं।
जवाब: हमारी पार्टी में सभी निर्णय सामूहिक होते हैं। चुनाव भी समूहिक लड़ा जाता है। इसलिए हार की जिम्मेदारी मेरी है उतनी ही जितनी हर कार्यकर्ता की।
वर्जन-
पार्टी की महापौर उम्मीदवार का हार जाना दुर्भाग्यपूर्ण रहा। पार्टी के हर कार्यकर्ता ने पूरी मेहनत के साथ काम किया। हम हार के कारणों की समीक्षा करेंगे।
कमल माखीजानी, जिला अध्यक्ष भाजपा