अमित मिश्रा, नईदुनिया, ग्वालियर। एक ही दिन में मध्य प्रदेश में पुलिस टीम पर हमले की चार घटनाएं हो गईं। मऊगंज जिले के गड़रा गांव में आदिवासी दबंगों ने घेर कर एएसआई की हत्या कर दी। कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
ग्वालियर में दो जगह पुलिस पार्टी को पीटा गया। इंदौर में भी हाई कोर्ट के सामने जाम लगा रहे वकीलों ने पुलिस कर्मियों को पीटा। इससे पहले भी हाल के कुछ महीनों में प्रदेश में पुलिस टीम पर हमले की कई घटनाएं अंजाम दी जा चुकी हैं। इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
पुलिस पर हो रहे हमलों को लेकर अब विपक्ष सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास गृह मंत्रालय होने के बावजूद प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है।
पुलिस पर लगातार हो रहे हमलों के कारण पहली बार ऐसा है, जब अपराधी नहीं बल्कि पुलिस दहशत में है। दबी जुबान में पुलिसकर्मी बोल रहे हैं कि किसी भी अपराधी को पकड़ने में डर लगने लगा है। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।
मप्र कैडर के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसएस शुक्ला का कहना है कि हत्या, हत्या के प्रयास जैसे मामलों में भी अपराधी राजनीतिक रसूखदार और अपने मददगारों के जरिये सुनियोजित तरह से कोर्ट में सीधे हाजिर हो जाते हैं।
पुलिस का डंडा नहीं चलता, तो ये बेखौफ हो जाते हैं। इसी तरह, कोई पुलिस अधिकारी लंबे समय तक एक ही जिले या सर्किल में कार्यरत रहता है तो हर तरह के संबंध बन जाते हैं। इससे अपराधियों का संपर्क थाने तक हो जाता है और अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। मध्य प्रदेश में लंबे समय से निरीक्षकों के जिले नहीं बदले गए हैं।
छतरपुर जिले के सिविल लाइंस थाने में कार्यरत उपनिरीक्षक अवधेश कुमार दुबे ने फेसबुक पर लाइव आकर प्रदेश में पुलिस पर हो रहे हमलों को लेकर दर्द बयां किया है। सोमवार को यह वीडियो पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों ने साझा भी किया।
उपनिरीक्षक बनने से पहले सेना में कार्यरत रहे अवधेश कुमार दुबे ने इंटरनेट मीडिया पर कहा कि करीब 18 साल भारतीय सेना में रहकर दुश्मनों के दांत खट्टे किए, पुलिस में नौकरी करते उन्हें आठ साल हो गए हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश पुलिस पर जो हमले हुए हैं, उससे काफी दुखी हो गए हैं, उनका मन बहुत व्यथित है। हमारे जो जवान पेट्रोलिंग करते हैं, उन्हें हम बाज या चीता नाम से जानते हैं, लेकिन आज महसूस हो रहा है कि हमारे पंजे नोच दिए गए हैं।
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उपनिरीक्षक दुबे ने कहा है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने हमें ये कैसे शस्त्र दिए है कि तीर भी चलाने हैं और परिंदा भी न मरे, ये भी ध्यान रखना है। मेरा मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव और डीजीपी से निवेदन है कि हमारी तरफ भी देखिए हमें जिंदा रहने दीजिए।