MP Board Result 2022: ग्वालियर, नईदुनिया टीम। कभी नकल के लिए कुख्यात रहे चंबल अंचल का दाग इस बार वहां की बेटियों ने ही धो दिया है। शुक्रवार को घोषित हुए मप्र बोर्ड की हायर सेकंडरी मेरिट सूची में पांच संकायों में से तीन पर चंबल की बेटियों ने कब्जा जमाया है। श्योपुर से गणित संकाय में प्रगति मित्तल ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। वहीं मुरैना की खुशबू वाणिज्य संकाय में और भिंड की शिल्पी गृह विज्ञान संकाय में अव्वल आई हैं।
10वीं के परिणामों में छतरपुर के एक्सीलेंस स्कूल की छात्रा नैन्सी दुबे ने प्रदेश में 496 अंक पाकर पहला स्थान प्राप्त किया है। गुरुवार दोपहर एक बजे मप्र के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने सिंगल क्लिक से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी का परिणाम घोषित किया। हर बार की तरह इस बार भी दोनों कक्षाओं में बेटियों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर परचम लहराया है। इस वर्ष 10वीं में 62.47 फीसद छात्राएं और 56.84 फीसद छात्र पास हुए हैं, जबकि मेधावी सूची में कुल 95 विद्यार्थियों में से 55 छात्राएं एवं 40 छात्रों ने स्थान पाया है। उधर, 12वीं की राज्य स्तरीय मेधावी सूची में 153 विद्यार्थियों ने स्थान पाया है। इनमें से 93 छात्राएं एवं 60 छात्र हैं। बोर्ड की पूरक परीक्षाएं 20 जून से शुरू होंगी। छात्र चार मई तक आवेदन कर सकेंगे।
छतरपुर की नैन्सी दसवीं में आई अव्वलः छतरपुर के नारायणपुरा गांव में रहने वाले किसान राममनोज दुबे की बेटी नैन्सी दुबे ने 10वी में 496 अंक हासिल करके 99.2 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। नैन्सी ने बताया कि उसने एक भी दिन स्कूल नहीं छोड़ा है। कोरोना काल के दौरान आनलाइन क्लास से पूरी तन्मयता से पढ़ाई की और नतीजा सामने है। उसे पूरा भरोसा था कि वह प्रदेश की मेरिट लिस्ट में उसका नाम जरूर होगा। उसका सपना है कि वो डाक्टर बनकर पीड़ित मानवता की सेवा करे। नैन्सी के पिता दो एकड़ जमीन पर खेती करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं, मां गृहणी हैं।
श्योपुर की प्रगति मित्तल ने प्रदेश में 12वीं गणित में टाप किया। pic.twitter.com/8Ykj604O3w
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आइएएस बनना चाहती हैं श्योपुर की प्रगति
12वीं में गणित संकाय की टॉपर श्योपुर की छात्रा प्रगति मित्तल आइएएस बनना चाहती हैं। बचपन से ही मैंने इसका सपना देखा है। आगे मैं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियां करूंगी। प्रगति ने का, मेरी इस सफलता का श्रेय भगवान जी और माता-पिता को देती हूं। गणित के संबंध में प्रगति ने कहा, यह भी अन्य विषयों की तरह ही है। नियमित अभ्यास से यह आसान हो जाता है। प्रगति मित्तल के पिता राजेन्द्र मित्तल कारोबारी हैं और बेटी की सफलता से काफी उत्साहित हैं। प्रगति को 500 में से 494 अंक हासिल किए हैं। इसके अलावा श्योपुर के ध्रुव सिंघल और रितेश जाट ने गणित संकाय में 483 अंक प्राप्त कर 9वां स्थान स्थान पाया है । बायोलॉजी में सोनू शर्मा ने प्रदेश में नौवां स्थान प्राप्त किया।
मुरैना की खुशबू शिवहरे ने 12वीं कामर्स में टाप किया। pic.twitter.com/7UGYE9CILI
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भिंड से गृह विज्ञान की टॉपर शिल्पी के पिता चलाते हैं आटो, बनना चाहती हैं शिक्षक
भिंड की शिल्पी ने होम साइंस में प्रदेश मेंं अव्वल स्थान प्राप्त किया। शिल्पी के पिता ऑटो चलाते हैं। pic.twitter.com/Ftvik257Rf
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12वीं गृह विज्ञान संकाय की छात्रा शिल्पी पुत्री महिपाल बघेल को प्रदेश में अव्वल रहीं। शिल्पी लहार के शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा हैं। शिल्पी के पिता ऑटो चलाते हैं। शिल्पी अपने पांच बहनों में सबसे बड़ी हैं। शिल्पी ने बताया किप्रतिदिन वह आठ घंटे पढ़ाई करती थीं। परिवार के सदस्यों ने किसी भी समस्या को उनके आगे नहीं आने दिया। शिल्पी शिक्षक बनना चाहती हैं। उन्हेंे 500/453 अंक प्राप्त हुए हैं।
वर्जन-
हमारी शिक्षा व्यवस्था मूल्यांकन प्रणाली आधारित है। परीक्षा भी सालभर के प्रदर्शन के आधार पर ली जाती है। ऐसा संभव है कि पूरे वर्ष बच्चे ने अच्छी पढ़ाई की हो, लेकिन परीक्षा के समय किन्हीं कारणों के चलते वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया हो। ऐसे में उसकी प्रतिभा का गलत आंकलन होता है। अभिभावकों को यह याद रखना चाहिए कि जीवन में किताबी ज्ञान ही सब कुछ नहीं है। इसके बजाय यदि बच्चों में मूल्य, संस्कार व व्यवहारिक ज्ञान है, तो वह ज्यादा बेहतर है।
ओपी दीक्षित, सेवानिवृत्त व्याख्याता डाइट
वर्जन-
परीक्षा में यदि असफलता भी प्राप्त होती है, तो ऐसा नहीं है कि उसे सफलता में नहीं बदला जा सकता। शिक्षा विभाग ने इसी कारण पुनर्मूल्यांकन से लेकर पूरक परीक्षा तक की व्यवस्था रखी है। अभिभावकों को यह ध्यान देना चाहिए कि वह बच्चों पर दबाव डालने के बजाय उन्हें प्रोत्साहित और प्रेरित करें। उन्हें समझाएं कि आगे और प्रयास कर परिणाम को बेहतर किया जा सकता है। बच्चों को प्रेरित करने से ही वह बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
विकास जोशी, जिला शिक्षा अधिकारी
वर्जन-
बच्चों को यह समझना चाहिए कि परीक्षा में जो भी परिणाम आया है, वह उनकी मेहनत के आधार पर है। इसके लिए परेशान नहीं होना चाहिए। यह परिणाम कोई जीवन का नतीजा नहीं है। परिणाम के बाद अभिभावक यह ध्यान रखें कि बच्चा उदास न हो। यदि बच्चा उदास और अकेले में है, तो उस पर नजर रखें। अभिभावक नंबरों के पीछे नहीं पड़ें। इसके अलावा नकारात्मक टिप्पणियों व अन्य बच्चों से तुलना करने से भी बचें।
डा. कमलेश उदैनिया, मनोचिकित्सक
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